पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly) में सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा.मान ने 27 सिंतबर को विश्वास मत पेश किया था.उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी (BJP) उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है.उनका कहना था कि बीजेपी की इस कोशिश में कांग्रेस (Congress) उसका साथ दे रही है.उन्होंने कांग्रेस को बीजेपी की बी टीम बताया था. शुक्रवार को सदन की कार्यवाही काफी हंगामेदार रही थी. कांग्रेस के सदस्यों ने एक ऑडियो क्लिप का हवाला देते हुए मंत्री फौजा सिंह सारारी की बर्खास्तगी की मांग की थी. विपक्षी सदस्यों ने इस पर मुख्यमंत्री से बयान देने की भी मांग की थी. विधानसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे शुरू होगी.


मुख्यमंत्री भगवंत मान का कांग्रेस पर हमला


शुक्रवार को सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कांग्रेस की जमकर आलोचना की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने सदन का कीमती समय बार-बार बाधित करके बर्बाद किया है.मान ने विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की गरिमा पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस विधायक आज उंगली उठा रहे हैं, उन्होंने पिछली सरकार में एक नकली मुख्यमंत्री के साथ काम किया है, क्योंकि कैप्टन ने कांग्रेस में रहकर हमेशा बीजेपी के लिए काम किया. मान ने कथा कि 'जो लोग 'नकली सीएम'कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काम कर रहे थे,वही आज 'मुर्दाबाद'के नारे लगा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस स्पष्ट रूप से बीजेपी के लिए काम कर रही है,इसलिए कांग्रेस को अब आधिकारिक तौर पर अपना नाम बीजेपी के साथ जोड़ लेना चाहिए.


 विधानसभा के विशेष सत्र पर हंगामा


विधानसभा सत्र के पहले दिन 27 सितंबर को मुख्यमंत्री मान ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया था. गौरतलब है कि मान सरकार ने पहले 22 सितंबर को विशेष सत्र बुलाया था। उसमें विश्वास मत रखने का एजेंडा तय किया गया था. राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उसे मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन बाद में कानूनी सलाह लेने के बाद उन्होंने यह मंजूरी वापस ले ली थी. राज्यपाल का कहना था कि विधानसभा की नियमावली में विश्वास मत के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रावधान नहीं है. राज्यपाल के इस कदम को आम आदमी पार्टी ने राजनीति से प्रेरित बताया था. 


इसके बाद कैबिनेट ने राज्यपाल को 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा था. इसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया था.उन्होंने सरकार से प्रस्तावित विधानसभा सत्र में कामकाज का ब्योरा मांगा गया था. इस पर भी काफी विवाद हुआ था बाद में सरकार ने राज्यपाल को सदन में किए जाने वाले विधायी कामकाज की जानकारी दी थी. 


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