Punjab News: पंजाब में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने के पार्टी नेतृत्व की योजनाओं को बड़ा झटका लगता दिख रहा है. पार्टी राज्य में तय किए गए सदस्यता अभियान के लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. इसका असर राज्य में पार्टी के संगठनात्मक चुनावों पर भी पड़ने वाला है जो अब बाकी राज्यों में होने वाले संगठन चुनावों के साथ नहीं हो पाएंगे.


बीजेपी के राज्य महासचिव अनिल सरीन के मुताबिक पार्टी ने राज्य में अब तक लगभग 8 लाख सदस्य बना लिए हैं. हालांकि ये 30 लाख सदस्य बनाने के तय लक्ष से काफी कम हैं. जिस रफ्तार से सदस्यता अभियान चला है उससे पार्टी को 30 लाख सदस्य बनाने के लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लग रहा है.


हर 5 साल बाद चलता है अभियान
बीजेपी हर पांच साल बाद सदस्यता अभियान चलाती है. 2 सितंबर को पिछले साल नया सदस्यता अभियान शुरू हुआ था. उससे पहले पार्टी के राज्य में 18 लाख सदस्य थे. सरीन के मुताबिक अब सस्यता अभियान 21 जनवरी तक चलेगा. 


बीजेपी को पंजाब में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या किसान आंदोलन है. साल 2020 के किसान आंदोलन में बीजेपी को राज्य में जबरदस्त विरोध सहना पड़ा था और अब जो आंदोलन शंभू और खनौरी सीमाओं पर चल रहा है उससे भी लोग बीजेपी का सदस्य बनने से हिचकिचा रहें हैं.


इसलिए पिछड़ रह सदस्यता अभियान?
दूसरी समस्या पार्टी के राज्य अध्यक्ष की निष्क्रियता है. कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए सुनील जाखड़ को पंजाब में राज्य अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन लोकसभा चुनावों के बाद वे निष्क्रिय हैं और पद छोड़ने के लिए पार्टी को कह चुके हैं. हालांकि अभी तक जाखड़ ही राज्य पार्टी अध्यक्ष हैं और पार्टी के तमाम कार्यक्रम उनकी अनुपस्थिति में ही हो रहे हैं. नए अध्यक्ष का चुनाव सदयता अभियान पूरा होने के बाद निचले स्तर पर संगठनात्मक चुनाव होने के बाद ही हो पाएगा. 


ये भी हो सकती है वजह
सरीन के मुताबिक सदस्यता अभियान में बड़ी समस्या इस दौरान हुए चुनावों से आई है. उनके मुताबिक इस दौरान पंचायत चुनाव, विधानसभा के उपचुनाव और नगर निगमों और नगर काउंसिलों के चुनाव हुए जिसके चलते सदस्यता अभियान पर फर्क पड़ा है. 


उनके मुताबिक पिछली बार सदस्यता अभियान महज एक दिए गए नंबर पर मिस्ड काल से चलाया गया था जबकि इस बार पूरा फॉर्म ऑनलाइन भरा जा रहा है जिसका भी असर सदस्यता अभियान पर पड़ रहा है.  


जनाधार बढ़ाने की कोशिशों को झटका
बीजेपी पंजाब में अपना जनाधार बढ़ने की कोशिशों में लगी है. पार्टी का पहले ज्यादा आधार शहरी क्षेत्रों तक सीमित था मगर पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनाधार बढ़ाने की कोशिशें की हैं. मगर सुस्त सदस्यता अभियान से इन कोशिशों को धक्का लगा है. 


लोकसभा चुनाव में बढ़ा था वोट प्रतिशत
1997 से 2020 तक बीजेपी पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के जूनियर पार्टनर के तौर पर गठबंधन में चुनाव लड़ती रही है. हालांकि अकाली दल 2020 में गठबंधन से बाहर हो गया था और उसके बाद पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. लोकसभा चुनाव में पार्टी कोई सीट राज्य में नहीं जीत पाई थी मगर पार्टी को 18.5 प्रतिशत वोट मिले थे जिससे पार्टी को ये आस जगी थी कि पार्टी पंजाब में एक बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है.


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