Punjab News: पंजाब में एक बार फिर बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल एक होने वाले है दोनों पार्टियों का गठबंधन तय माना जा रहा है बस ऐलान होना बाकि है. सूत्रों की माने तो दोनों पार्टियों में चुनाव स्ट्रैटजी से लेकर सीटों के फार्मूला तक सब तय हो चुका है. इसके पीछे कई कारण माने जा रहे है. जिसमें सबसे बड़ा कारण तो विपक्षियों का महागठबंधन है. बेशक बीजेपी की तरफ से बार-बार दावे किए जाते है कि क्षेत्रीय दलों से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलता, लेकिन हकीकत तो कुछ और है.


गठबंधन जरूरी या मजबूरी
बीजेपी अपने साथ छोटे दलों को जोड़ने में जुटी हुई है. पंजाब में बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन भी उसी रणनीति का हिस्सा है. गठंबधन से अलग होकर सियासी जमीन खो चुके अकाली दल की चिंता कुछ और है. बीजेपी-अकाली दल के गठबंधन में इस अकाली दल की भूमिका बड़े भाई वाली नहीं रहने वाली. पंजाब में अब परिस्थितियां बदली हुई नजर आ रही है. पंजाब में अपना वजूद खोने के डर से अकाली दल को बीजेपी के अनुसार सीटों के फॉर्मूले पर सहमति जतानी पड़ रही है.   


बादल के निधन के बाद फिर गठबंधन होने लगी कवायद
माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद से ही बीजेपी-अकाली के गठबंधन की जमीन तैयार होने लगी थी. जालंधर उप-चुनाव के नतीजों से और ज्यादा क्लीयर हो गया कि दोनों दलों का एक दूसरे के बिना गुजारा नहीं हो सकता. दोनों को ही एक-दूसरे के साथ की जरूरत है. अकाली दल के मुखिया सुखबीर बादल अभी दिल्ली में डेरा जमाए हुए वहीं गठबंधन के शर्तों पर विचार-विमर्श चल रहा है. 


सीटों का ये रहेगा फार्मूला
मीडिया रिपोर्टस की माने तो बीजेपी-अकाली दोनों पार्टियों में लोकसभा चुनावों में सीटों का फॉर्मूला तय हो चुका है. जिसमें इस बार बीजेपी का कद बढ़ा है और अकाली दल का कद घटा है. पहले जो गठबंधन का 10 और 3 का था अब वो 8 और 5 का हो गया है. वहीं माना जा रहा है कि जल्द गठबंधन का ऐलान होने के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल के अंतिम विस्तार में अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल को दोबारा मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.


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