Punjab By-Election 2024: पंजाब में गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट पर उपचुानव होने वाला है. इस उपचुनाव से पहले प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा है कि शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल और उनके चचेरे भाई मनप्रीत सिंह बादल साथ आ सकते हैं. इन अटकलों ने उस समय जोर पकड़ा जब सुखबीर के करीबी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने आरोप लगाया कि गिद्दड़बाहा से उन्हें टिकट देने की बजाए सुखबीर बादल मनप्रीत बादल को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं.


हरदीप ढिल्लों ने कहा कि "शिअद ने उनके साथ इस्तेमाल करो और फेंक दो की नीति अपनाई है." उन्होंने 2017 और 2022 में शिअद के टिकट पर गिद्दड़बाहा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अब उनके राज्य की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी में शामिल होने की उम्मीद है. हालांकि, सुखबीर और मनप्रीत दोनों ने इन अफवाहों का खंडन किया है, लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दोनों ने एक साल से एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से परहेज किया है.


बता दें गिद्दड़बाहा कभी परिवार के मुखिया प्रकाश सिंह बादल का गढ़ हुआ करता था, लेकिन 1995 से 2007 के बीच मनप्रीत लगातार यहां से जीतते रहे हैं. इसी दौरान शिअद ने 2010 में मनप्रीत सिंह बादल को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद मनप्रीत ने 2011 में पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब की स्थापना की, लेकिन 2016 में इसका कांग्रेस में विलय कर दिया. वहीं 2023 की शुरुआत में वह बीजेपी में शामिल हो गए.


पहले भी उड़ीं ऐसी अफवाहें
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कई राजनीतिक मामलों की वजह मनप्रीत के अकाली दल में वापस आने की अफवाहें उड़ती रही हैं. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब मनप्रीत कांग्रेस में थे, तब पार्टी के बठिंडा उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने मनप्रीत पर उन्हें समर्थन न देने का आरोप लगाया था. वारिंग के खिलाफ शिअद सांसद और सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल थीं. वारिंग ने अपनी हार का ठीकरा मनप्रीत पर फोड़ा था, जो उस समय राज्य के वित्त मंत्री और बठिंडा शहरी विधायक थे.


बता दें 2022 तक यह तनाव बना रहा. 2022 एक बार फिर विधानसभा चुनावों में वारिंग ने “सारे बादल हरा देयो (सभी बादलों को हराओ)” और “सारे बादल मिले होए ने (सभी बादल मिलीभगत कर रहे हैं)” से लेकर “बठिंडे वाला बादल हरा देयो (बठिंडा से चुनाव लड़ रहे बादल को हराओ)” जैसे नारों के साथ प्रचार किया. हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल का सफाया हो गया. वारिंग ने तब मतदाताओं को मनप्रीत को हराने के लिए धन्यवाद दिया था. जबकि वो दोनों कांग्रेस में थे.


शिअद की ओर से भी बठिंडा शहरी क्षेत्र के उम्मीदवार सरूप चंद सिंगला ने भी दावा किया कि वह तीसरे स्थान पर रहे, क्योंकि उनकी अपनी पार्टी ने मनप्रीत के पक्ष में उनके खिलाफ प्रचार किया था. इसके बाद सिंगला ने शिअद छोड़ दी और बाद में मनप्रीत के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. अप्रैल 2023 में प्रकाश बादल की मौत के बाद शिअद नेताओं ने सार्वजनिक रूप से सुखबीर और मनप्रीत से अपने मतभेदों को सुलझाने का आग्रह किया था.


वहीं एक बार फिर अफवाहों को हवा देते हुए मनप्रीत बठिंडा सीट पर बीजेपी के 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान में नहीं दिखे. बता दें यहां हरसिमरत अकाली दल की उम्मीदवार थीं. अब जब मौजूदा विधायक वडिंग के लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है, तो मनप्रीत और सुखबीर के बीच सुलह की अफवाहें फिर से सामने आई हैं.


मनप्रीत बादल और सुखबीर बादल ने क्या कहा?
हालांकि, इस बात से इनकार करते हुए मनप्रीत ने कहा कि शिअद के बागी ढिल्लों अफवाहें फैला रहे हैं. गिद्दड़बाहा और पंजाब के अन्य स्थानों में अकाली दल का पारंपरिक वोट बैंक लगातार बीजेपी की ओर खिसक रहा है और इससे ढिल्लों को स्पष्ट रूप से झटका लगा है. मैं बीजेपी का कार्यकर्ता हूं और बीजेपी ही मेरा अभी और हमेशा के लिए घर है. मैं पार्टी को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास करूंगा.


वहीं मनप्रीत के शिअद में वापस आने की बात से इनकार करते हुए सुखबीर ने ढिल्लों से पार्टी छोड़ने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया. सुखबीर ने कहा कि झूठी, मनगढ़ंत और निराधार अफवाहें फैलाई गई हैं कि बीजेपी नेता मनप्रीत सिंह बादल को आगामी उपचुनाव में शिअद द्वारा गिद्दड़बाहा से मैदान में उतारा जाएगा." 



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