Punjab News: जालंधर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट 13 मई को आने वाला है. लेकिन उससे पहले सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की धड़कने बढ़ी हुई है. कम वोटिंग प्रतिशत की वजह से राजनीतिक पार्टियों में लगातार आंकलन चल रहा है कौन जीत के नजदीक है. इस उपचुनाव में सारी पार्टियों को समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं. इस चुनाव में जोड़-तोड़ का गणित भी बहुत चला. कई बड़े नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में पहुंचे, लेकिन वो भी वोट जुटाने में कामयाब नहीं रहे.
AAP के दिग्गज ने भी नहीं दिखा पाए कमाल
इस उपचुनाव में सबसे ज्यादा दलबदल आम आदमी पार्टी ने करवाया है. जबकि दलबदल कराने में दूसरा नंबर बीजेपी का रहा है. आम आदमी पार्टी की अगर बात करें तो वेस्ट विधानसभा से उन्हें सबसे ज्यादा वोट मिलने की संभावना थी. यहां उनके पास विधायक शीतल अंगुराल, उपचुनाव के प्रत्याशी सुशील रिंकु और बीजेपी से आप में शामिल हुए मोहिंदर भगत से लेकर पूरे जिले में एक अनुभवी टीम थी. लेकिन ये सब अपना कमाल नहीं दिखा पाए और वोटिंग प्रतिशत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई.
देहाती इलाकों में वोट बैंक बढ़ने की संभावना
जालंधर लोकसभा सीट के अधीन आने वाली जालंधर वेस्ट, जालंधर सेंट्रल, नकोदर, करतारपुर विधानसभाओं में आम आदमी पार्टी के विधायक हैं. इस वजह से उन्हें उम्मीद थी कि यहां उनका वोट बैंक बढ़ सकता है, लेकिन आप इन विधानसभाओं में अपना वोट बैंक नहीं बढ़ा पाई. वर्तमान में देहाती इलाकों जैसे नकोदर और शाहकोट एरिया में आप का वोटिंग प्रतिशत बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
कांग्रेस की उम्मीदों पर भी फिरा पानी
कांग्रेस की तरफ से आदमपुर विधानसभा हल्के, फिल्लौर विधानसभा हल्के और कैंट में आरक्षित श्रेणी के वोटों पर फोकस दिया गया था. विधानसभा चुनावों की तरह आरक्षित श्रेणी से बंपर वोटों की कांग्रेस को उम्मीद थी लेकिन वोटर ग्राफ में आई कमी से उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया.