(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Punjab News: पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने की खुद को एकजुट दिखाने की कोशिश, अंबिका सोनी के आने से पड़ा ये फर्क
Punjab News: पंजाब कांग्रेस के नेताओं की ओर से अब एकजुटता पेश करने की कोशिश की गई है. अंबिका सोनी की नियुक्ति के पीछे खास मैसेज छुपा हुआ है.
Punjab News: कांग्रेस हाईकमान की ओर से पंजाब में पार्टी नेताओं के बीच छिड़ी कलह को कम करने की कोशिश जारी है. अंबिका सोनी ने पंजाब में चुनाव समन्वय समिति का प्रमुख बनने के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के गुटों के बीच संघर्ष विराम या समझौते का आह्वान किया है. अंबिका सोनी कांग्रेस की वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं और अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के बाद वह सीएम पद की रेस में सबसे आगे थीं.
राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की करीबी सहयोगी सोनी को पंजाब में जिम्मेदारी दिए जाने से राज्य में उन नेताओं के बीच संदेह पैदा हो दिया है, जो गुट बनाकर एक युद्ध लड़ रहे थे. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान के कदम को भांपते हुए युद्धरत गुट एकजुट हो गए हैं और वे नेतृत्व को नकारात्मक संकेत भी नहीं देना चाहते हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री की आलोचना करने वाले सिद्धू ने राज्य सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए जाने के बाद प्रशंसा की है.
अमरिंदर के हटने के बाद पंजाब में कांग्रेस को हरीश रावत की जगह हरीश चौधरी को राज्य का नया प्रभारी नियुक्त करना पड़ा. दोनों नेताओं के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए कई बैठकें करनी पड़ीं. हालांकि, यह कवायद सिद्धू को अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने से नहीं रोक पाई.
सीएम की रेस में शामिल हैं तीन नेता
6 दिसंबर को सोनिया गांधी ने अंबिका सोनी को समन्वय समिति की अध्यक्ष नियुक्त किया था और एक अन्य नाराज नेता सुनील जाखड़ को अभियान समिति का अध्यक्ष और प्रताप सिंह बाजवा को घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था. नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य चुनाव समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है और बुधवार को चंडीगढ़ में एक बैठक भी बुलाई गई.
तीनों नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं. जाखड़ इस रेस में इसलिए चूक गए, क्योंकि अंबिका एक सिख मुख्यमंत्री चाहती हैं, जबकि बाजवा एकमात्र नेता थे, जो अमरिंदर सिंह के खिलाफ थे, क्योंकि उन्हें 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. वहीं दूसरी ओर अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया और सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम का प्रस्ताव रखा था.