Punjab: लुधियाना टेंडर घोटाले में 2 खाद्य और नागरिक आपूर्ति नियंत्रक गिरफ्तार, विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई
Ludhiana News: पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने मंगलवार को दो और आरोपियों सुखविंदर सिंह गिल, तत्कालीन डीएफएससी लुधियाना वेस्ट और हरवीन कौर, तत्कालीन डीएफएससी लुधियाना ईस्ट को गिरफ्तार किया.
Ludhiana Grain Market Tender Scam: पंजाब सतर्कता ब्यूरो (Punjab Vigilance Bureau) ने मंगलवार को लुधियाना (Ludhiana) जिले की अनाज मंडियों में हुए टेंडर घोटाले में शामिल दो जिला खाद्य और नागरिक आपूर्ति नियंत्रकों (DFSC) को गिरफ्तार किया. इस घोटाले में कांग्रेस (Congress) के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु (Bharat Bhushan Ashu) के शामिल होने के आरोप थे. इसके अलावा विजिलेंस ब्यूरो ने तीन आरोपियों को 'घोषित अपराधी' डिक्लेयर करने के लिए कार्रवाई शुरू की.
ये तीन आरोपियों में खाद्य और नागरिक आपूर्ति के उप निदेशक आर.के. सिंगला, पंकज कुमार और इंद्रजीत सिंह, जो पूर्व खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु के निजी सहायक थे, शामिल हैं. विजिलेंस के प्रवक्ता ने कहा कि ब्यूरो ने पहले ही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अलग-अलग धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ठेकेदारों तेलू राम, जगरूप सिंह, संदीप भाटिया और गुरदास राम एंड कंपनी के मालिकों और साझेदारों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
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दो कमीशन एजेंट को पहले ही किया जा चुका है गिरफ्तार
इसके अलावा राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों से अनाज मंडियों में श्रम और परिवहन की निविदाएं आवंटित करने को लेकर पूछताछ की. उन्होंने कहा कि तेलू राम, पूर्व मंत्री आशु, कृष्ण लाल धोतीवाला और अनिल जैन, दोनों कमीशन एजेंट को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है और सभी न्यायिक हिरासत में हैं. विजिलेंस पहले ही उनके खिलाफ लुधियाना की एक अदालत में चार्जशीट पेश कर चुका है. विजिलेंस ब्यूरो ने मंगलवार को दो और आरोपियों सुखविंदर सिंह गिल, तत्कालीन डीएफएससी लुधियाना वेस्ट और हरवीन कौर, तत्कालीन डीएफएससी लुधियाना ईस्ट को गिरफ्तार किया.
गलत दस्तावेज जमा करने के बाद भी टेंडर किए गए थे आवंटित
सुखविंदर सिंह गिल इस समय डीएफएससी, फरीदकोट और हरवीन कौर डीएफएससी, जालंधर के पद पर तैनात हैं. उन्होंने कहा कि आरोपी निविदा आवंटन के समय जिला निविदा समिति के सदस्य और संयोजक थे. वे समिति के अन्य सदस्यों के साथ परिवहन वाहनों की सूची सहित निविदाओं से जुड़े प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच करने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर वाहनों की पंजीकरण संख्या सत्यापित नहीं की थी, क्योंकि वाहनों की सूची में कुछ स्कूटर, मोटरसाइकिल के नंबर भी दर्ज थे. उन्होंने कहा कि गलत दस्तावेज जमा करने के बावजूद पसंदीदा लोगों से रिश्वत की रकम लेकर उन्हें टेंडर आवंटित कर दिए गए.