Punjab News: कहते हैं कि जहां चाह हो वहां राह मिल ही जाती है. हौसला हो तो बुलंदी की उड़ान भरी जा सकती है. ऐसा ही एक हुनर पंजाब के फरीदकोट (Faridkot) जिले में देखने को मिला है, जहां एक बेहद गरीब परिवार के लड़के ने अपने सपनों की उड़ान खुद भरी है. हरप्रीत का बचपन से ही पायलट बनने का सपना था. गरीबी और पिता का साया सर से उठ जाने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और साइकिल रिपेयर करते-करते जहाज बना दिया. हरप्रीत पेशे से एक साइकिल मैकेनिक हैं, लेकिन उन्होंने तीन साल की कड़ी मेहनत और ढाई लाख रुपये खर्च करके एक पैरामोटर ग्लाइडर (paramotor glider) बना डाला. दरअसल, हरप्रीत ने आर्मी से ट्रेनिंग लेकर ये पैरामोटर ग्लाइडर तैयार किया है. आपको बता दें कि ये जहाज आसमान में बाकायदा उड़ भी सकता है. 


वहीं अब हरप्रीत को इंडियन फ्लाइंग फोर्स पॉन्डिचेरी में पैरा मोटर पाइलट की नौकरी मिल गई है, जहां वह लोगों को आसमान की सैर करवाते हैं. हरप्रीत का सपना है कि वह अपने इलाके के लोगों के लिए टू सीटर पैरामोटर ग्लाइडर बनाएं और हर छोटे बड़े अमीर-गरीब को आसमान की सैर करवाए. हरप्रीत ने नौजवानों से अपील की कि वो अपने आप पर यकीन रखें, तभी वो अपने सपने को साकार कर सकते हैं. हरप्रीत जब छुट्टी पर घर आते हैं तो इलाके के गरीब बच्चों को इस जहाज के बारे में बताते हैं और दिखाते है कि ये कैसे बना है.


पैरामोटर ग्लाइडर बनाने में क्या-क्या लगा
हरप्रीत ने बताया कि 'उन्होंने जो जहाज बनाया है उसे पैरामोटर कहते हैं. इसको मैनें खुद अपने खर्च पर बनाया है. इससे पहले मैं साइकिल रिपेयरिंग का काम करता था. मेरा बचपन से यह सपना था कि मैं पायलट बनूं, लेकिन वो नहीं हो सका. वहीं मैंने पैरामोटर के बारे में जाना और फिर आर्मी असम से ट्रेनिंग ली. इसे बनाने में मेरा ढाई लाख का खर्चा आया और तीन साल लगे. इसका एक-एक पुर्जा इकठ्ठा करके तब मेंने इसकी शुरूआत की है. दरअसल, इसमें साइकिल का हैंडल, लकड़ी के पंखे, मोटरसाइकिल का इंजन लगा है. इसके साथ ही अब मेरा टू सीटर पैरामोटर बनाने का प्लान है. अगर सरकार मेरा साथ दे तो मैं बड़े लेवल का पैरामोटर ग्लाइडर बना सकता हूं. फिलहाल, अभी मैं इंडियन फ्लाइंग फोर्स पॉन्डिचेरी में पैरामोटर पायलट की नौकरी करता हूं, जहां मैं टूरिस्टों को राइड करवाता हूं.'


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