Punjab Election 2022: पंजाब में मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. सिद्धू को घर में घेरने के लिए अकाली दल के विक्रम सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) ने बहुत बड़ा फैसला लिया है. दरअसल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चैलेंज किया था कि अगर मजीठिया में दम है तो मजीठा सीट को छोड़कर एक सीट पर लड़ें. अब मजीठिया ने सिद्धू की ये चुनौती स्वीकार कर ली है.
मजीठिया ने सिर्फ अमृतसर ईस्ट से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया
मजीठिया ने कहा, ''अपने कर्तव्य को निभाने और लोगों के मन में शंका को दूर करने लिए मैंने सिर्फ अमृतसर ईस्ट से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है, अब मजीठा सीट से मेरी पत्नी गनीव कौर चुनाव लड़ेंगी.''इस एलान के साथ मजीठिया ने एक बार फिर सिद्धू को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, ''ये चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के अहंकार का तोड़ने का चुनाव है, मैं उसे लोगों का सम्मान करना सिखाऊंगा. आप देखेंगे कि वह लोगों से प्यार करने लगेगा, बड़ों का सम्मान करना सीखेगा और हवा में बयानबाजी करना बंद कर देगा.''
विक्रम सिंह मजीठिया मजीठा सीट से लगातार तीन बार रहे विधायक
विक्रम सिंह मजीठिया ने अपने ट्वीट में जिस मजीठा सीट का जिक्र किया है वहां से ये लगातार तीसरी बार विधायक हैं. सिद्धू की तरफ से चुनौती मिलने के बाद सोमवार को इन्होंने मजीठा से अपना नामांकन वापस लेकर पत्नी गनीव कौर को पहली बार चुनाव मैदान में उतार दिया. इस दांव से विक्रम सिंह मजीठिया ने दो निशाने साधे, पहला पत्नी की राजनीति में एंट्री करा दी और दूसरा अमृतसर ईस्ट के वोटरों को ये भरोसा दिला दिया है कि अब अमृतसर ही उनकी नई कर्मभूमि होगी.
अमृतसर ईस्ट की सीट पंजाब की सबसे हॉट सीट बनी
सिद्धू और मजीठिया के बीच इस दिलचस्प टक्कर से अमृतसर ईस्ट की सीट पंजाब की सबसे हॉट सीट बन गई है. जिसमें सिद्धू अपना किला बचाने की कोशिश करेंगे तो ड्रग्स केस में फंसे मजीठिया अपने मान की लड़ाई लड़ेंगे. वैसे 2012 में नई सीट बनने के बाद से अमृतसर ईस्ट सीट पर सिद्धू परिवार का कब्जा रहा है. 2017 में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते तो 2012 नवजोत कौर यानी सिद्धू की पत्नी बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतीं.
दिलचस्प बात ये है कि अब तक ना तो सिद्धू कभी चुनाव हारे हैं और ना ही माझे का जनरल नाम से मशहूर मजीठिया कोई चुनाव हारे हैं. ऐसे में इस लड़ाई में जो जीतेगा उसका कद बढ़ जाएगा और जो हारेगा उसकी सियासी गणित गड़बड़ा जाएगा.
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