Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीनों का वक्त बाकी है. सत्ताधारी कांग्रेस, विपक्षी पार्टियां शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी पूरी तरह से इलेक्शन मोड में नज़र आ रही हैं. लेकिन बीजेपी ने राज्य में अब तक अपना चुनावी अभियान शुरू नहीं किया है. इसके साथ ही यह भी साफ नहीं है कि शिरोमणि अकाली दल के बिना चुनावी मैदान में उतरने जा रही बीजेपी इस बार किस चेहरे पर दांव लगाएगी.


पिछले साल एनडीए की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी से अलग होने का एलान किया था. 1996 से ही बीजेपी राज्य में अकाली दल के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ती आई है. 2019 में पंजाब से उसके दो सांसद भी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे.


लेकिन तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी के प्रति पंजाब के लोगों में गुस्सा काफी बढ़ गया. बीजेपी नेताओं के प्रति किसानों में गुस्सा इस कदर तक बढ़ा हुआ था कि इस साल की शुरुआत में अबहोर में बीजेपी विधायक अरुण नारंग की किसानों ने पिटाई कर दी. इस घटना के बाद से ही बीजेपी नेताओं ने पंजाब में पब्लिक सभाओं से दूरी बना रखी है.


बीजेपी नहीं भुना रही कोई भी मुद्दा


तीन कृषि कानूनों के बनने के बाद से केंद्र से भी किसी बड़े बीजेपी नेता ने पंजाब की धरती पर कदम नहीं रखा है. एक और जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पंजाब के लोगों से बड़े-बड़े चुनावी वादे कर रहे हैं, वहीं यह साफ नहीं है कि बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगा या फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मिलकर. बीजेपी ने अभी तक पंजाब की जनता से कोई वादा नहीं किया है.


बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों में सिखों में फैले गुस्से को कम करने की कोशिश की है. केंद्र सरकार ने गुरु पर्व से ठीक पहले करतारपुर कॉरिडोर को खोलने का एलान किया था जबकि गुरु पर्व के मौके पर तीन कृषि कानून भी वापस ले लिए. लेकिन बीजेपी के नेताओं ने अभी तक जनता के बीच जाकर इन दोनों मुद्दों को भुनाने की कोशिश नहीं की है.


चेहरे को लेकर सवाल कायम


कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी के सामने लगातार सीट शेयरिंग का विकल्प पेश कर रहे हैं. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि किसान आंदोलन का समाधान होने पर वह बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की समस्या का समाधान तो कर दिया है लेकिन उनके सीट शेयरिंग के मुद्दे पर अभी तक राज्य का केंद्रीय नेतृत्व की ओर से ही चुप्पी ही साध कर रखी गई है.


यह भी साफ नहीं है कि बीजेपी पंजाब में किसी हिंदू चेहरे पर दांव लगाएगी या फिर सिख चेहरे पर. लेकिन एक बात साफ है कि कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को दलित चेहरे के तौर पर पेश करके फिलहाल बाजी मार रखी है. इसके अलावा आम आदमी पार्टी भी बड़े-बड़े चुनावी वादे कर अपने आप को चर्चा में बनाए रखने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दे रही है. 


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