Punjab Assembly Election 2022: कीर्ति किसान यूनियन (Kirti Kisan Union) आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा. उसने सियासत से अलग होने का आज एलान कर दिया. कीर्ति किसान यूनियन ने बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) की अगुवाई में संयुक्त समाज मोर्चा से भी उम्मीदवार उतारने के फैसले पर विचार करने को कहा है. प्रेस कांफ्रेंस में कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष निर्भय सिंह ढुडीके (Nirbhai Singh Dhudike) समेत दूसरे नेताओं ने कहा कि इस मौके पर पर चुनाव में हिस्सा लेना किसान आंदोलन और एक साल तक चले संघर्ष के हित में नहीं होगा. चुनाव में उतरने के बजाए कीर्ति किसान यूनियन आम आदमी की बुनियादी समस्याओं को उठाएगा.
कीर्ति किसान यूनियन मुख्य मुद्दों पर करेगा फोकस
यूनियन के नेताओं ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों के बीच जमीन का बंटवारा के लिए लैंड सीलिंग एक्ट लागू करने, बेरोजगारी और नशे की लत मुख्य मुद्दे हैं. उन्होंने कहा, "बेरोजगारी नशे की समस्या का कारण है, उसे हल करने के लिए जरूरत है कि पंजाब में उद्योग धंधे लगें, विशेषकर कृषि आधारित. लेकिन हमारे संसाधन, तकनीक और बाजार पर सामाज्यवादी ताकतों का कब्जा हो गया है. रोजगार मुख्य रूप से तीन सेक्टर-कृषि, इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में उपलब्ध है."
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निजीकरण की नीति को खत्म करने की उठाई मांग
कीर्ति किसान यूनियन के नेताओं ने आगे कहा कि निजीकरण की वजह से लोगों को बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी से महरूम किया जा रहा है. इसलिए यूनियन का मानना है कि निजीकरण की नीति को खत्म किया जाना चाहिए. आपको बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों के चले आंदोलन को जीत मिली थी. केंद्र सरकार की तरफ से कृषि कानूनों को रद्द करने का भरोसा मिलने के बाद किसानों ने आंदोलन उठा दिया था. लेकिन घर वापसी के बाद पंजाब में किसानों ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर सियासत में उतरने का संकेत दे दिया.