Punjab News: धान के बौने रोग से पंजाब के किसान परेशान, 34 हजार हेक्टर से अधिक फसल प्रभावित
कृषि विभाग ने पंजाब में धान के खेतों पर एसआरबीएसडीवी रोग के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वे के मुताबिक पंजाब में 34,347 हेक्टेयर धान के रकबे में बौना रोग पाया गया है.
Chandigarh News: पंजाब (Punjab) में 34,000 हेक्टेयर से अधिक धान की फसल में बौना रोग (Dwarf disease) पाया गया है. राज्य के कृषि विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में औसतन 5 प्रतिशत फसल के नुकसान का अनुमान लगाया है. हाल ही में हुए कृषि विभाग के सर्वे के अनुसार बौना रोग का सबसे अधिक प्रभाव मोहाली में 6,440 हेक्टेयर, पठानकोट 4,520 हेक्टेयर, गुरदासपुर 3,933 हेक्टेयर, लुधियाना 3,500 हेक्टेयर, पटियाला 3,500 हेक्टेयर और होशियारपुर में 2,782 हेक्टेयर के धान के खेतों में हुआ है. यह जानकारी कृषि विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने सोमवार को दी.
34,347 हेक्टेयर धान में बौना रोग
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने पहले राज्य के कई हिस्सों में धान के पौधों के स्टंटिंग के पीछे दक्षिणी चावल ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (एसआरबीएसडीवी) पाया था. इसे बौना रोग भी कहा जाता है. कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि इस बीमारी के कारण कुछ पौधे मर गए और कुछ धान के खेतों में सामान्य पौधों की तुलना में आधे से एक तिहाई ऊंचाई के साथ कम हो गए. धान के पौधों की बौनेपन की रिपोर्ट के बाद राज्य के कृषि विभाग ने पंजाब में धान के खेतों पर एसआरबीएसडीवी रोग के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वे के मुताबिक पंजाब में 34,347 हेक्टेयर धान के रकबे में बौना रोग पाया गया है.
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यहां हुआ ज्यादा असर
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर मोहाली, पठानकोट, गुरदासपुर और लुधियाना में देखा गया. वहीं एक अधिकारी ने कहा प्रभावित क्षेत्रों में औसतन 5 फीसदी उपज हानि की आशंका है. विशेष रूप से पठानकोट और मोहाली में कुछ किसानों ने तीन महीने पुरानी खड़ी फसल की जुताई कर दी क्योंकि धान की वृद्धि रुक गई थी. पीएयू (PAU) के निदेशक जी एस मंगत ने कहा कि बौना रोग जल्दी रोपित धान पर दिखाई दे रहा है. उन्होंने आगे कहा इस बीमारी ने 20 जून तक बोई गई फसल को प्रभावित किया है.
पीआर-121 धान की किस्म में ज्यादा प्रभाव
वहीं विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का सर्वाधिक प्रभाव पीआर-121 धान की किस्म में देखा गया क्योंकि किसानों ने इसे जल्दी बोया था. जी एस मंगत ने कहा कि विभिन्न कारणों के बीच उच्च तापमान भी इस बीमारी का कारण है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार बौनेपन के बाद इस रोग को किसी भी कृषि केमिकल से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. पंजाब में खरीफ सीजन में धान की बुवाई 30.84 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. वहीं विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पहले ही राज्य सरकार से धान उत्पादकों के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मांगा था.