AIG Raj Jit Singh Sacked: पंजाब सरकार (Punjab Government) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ड्रग्स केस (Drugs Case) में एआईजी राजजीत सिंह को बर्खास्त कर दिया है. पंजाब में पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है और किसी सीनियर अफसर को नौकरी से बर्खास्त किया गया है. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) रिपोर्ट में राजजीत सिंह का नाम आया था. हाईकोर्ट की तरफ से 2017 नशा तस्करी के मामले में गठित एसआईटी (SIT) ने जस्टिस सूर्यकांत की ओर से बताए गए 4 मापदंडों के दायरे में जांच को पूरा किया था. इस रिपोर्ट में एआईजी राजजीत सिंह का नाम आया था.


इस मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एआईजी की प्रॉपर्टी की जांच के भी आदेश दिए हैं. राजजीत सिंह पर तरनतारन में एसएसपी रहने के दौरान ड्रग्स तस्करों से सांठगांठ का आरोप है. होशियारपुर और मोगा में भी राजजीत सिंह एसएसपी रहे हैं. राजजीत अभी AIG NRIs की पोस्ट पर थे. पंजाब में पहली बार ड्रग्स के आरोप में किसी पुलिस सीनियर अफसर को बर्खास्त किया गया है.


राजजीत सिंह पर लटक रही गिरफ्तारी की तलवार


इसके साथ ही बर्खास्त एआईजी राजजीत सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है. राजजीत सिंह को ड्रग्स केस की उसी एफआईआर में नामजद किया जाएगा, जिसमें एसटीएफ ने एआईजी के चहेते इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह को गिरफ्तार किया था. इंद्रजीत सिंह जेल में है, उस पर मुकदमा चल रहा है. वहीं राजजीत सिंह की संपत्तियों की जांच पंजाब विजिलेंस ब्यूरो करेगा.


हेड कॉन्स्टेबल इंद्रजीत को भी किया गया था गिरफ्तार


इससे पहले एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू ने पंजाब एसटीएफ प्रमुख का पद संभालने के बाद पुलिस के काम और अदालतों में एनडीपीएस मामलों की सफलता दर की समीक्षा करने का फैसला किया था. उन्होंने पाया कि तरनतारन के एसएसपी राजजीत सिंह हुंदल एनडीपीएस एक्ट का उल्लंघन कर नशे के मामलों की जांच एक हेड कॉन्स्टेबल इंद्रजीत से करवा रहे थे. इंद्रजीत को गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके घर से 4 किलो चिट्टा, 3 किलो स्मैक, 2 एके 47 राइफल, एक रिवॉल्वर, एक पिस्टल और बड़ी मात्रा में जिंदा कारतूस बरामद हुए थे.


इंद्रजीत ने राजजीत सिंह पर लगाया था ये आरोप


एसटीएफ सूत्रों ने खुलासा किया था कि पूछताछ के दौरान आरोपी इंद्रजीत ने आरोप लगाया कि एसएसपी राजजीत सिंह हुंदल अपराध में उसका साथी है. पता चला था कि वह गिरफ्तार तस्करों से समझौता कराकर ट्रायल कोर्ट में चालान पेश करने से पहले हेराफेरी करता था. असल सबूतों से छेड़छाड़ होती थी. 'चिट्टा' के बजाय कोई और नशीला पदार्थ फॉरेंसिक लैब टेस्टिंग के लिए भेजा जाता था और मामले को कमजोर करने और आरोपियों की मदद करने के लिए तस्करों के वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर गलत लिखे जाते थे. सूत्रों ने यह भी खुलासा किया था कि इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह जब बड़ी मात्रा में हेरोइन के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार करते थे, तो वह बरामद ड्रग्स की मात्रा को काफी कम दिखाते थे.


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