Punjab News: पंजाब में पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग करने को लेकर अब भगवंत मान सरकार नई परेशानियों में फंसती नजर आ रही है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने आप सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट की तरफ से सरकार से पूछा गया है कि आखिर किस अधिकार से पंचायतों को भंग करने का फैसला लिया गया है. सरकार को ये हक किसने दिया है कि वो लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों से उनका अधिकार बिना किसी कारण वापस ले.
‘बाढ़ राहत के फंड का कैसे होगा इस्तेमाल’
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से सरकार को फटकार लगाते हुए कहा गया कि पंचायतों के भंग किए जाने से बाढ़ राहत के लिए केंद्र की तरफ से भेजे गए फंड का इस्तेमाल कैसे होगा.
‘पंजाब सरकार 31 अगस्त को दाखिल करेगी जवाब’
वहीं हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से जब कहा गया कि जनहित को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया गया है. इसपर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या कोई सर्वे कराने के बाद यह निर्णय लिया गया है और आखिर इससे जनहित कैसे जुड़ा हुआ है. इसपर संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाने पर कोर्ट ने कहा कि आखिर सरकार खुद नियम बनकार फैसला कैसे ले सकती है. चयनित प्रतिनिधियों से आखिर कैसे उनकी शक्तियां वापस ली जा सकती है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के पास ये अधिकार ही नहीं है कि वो समय से पहले बिना किसी आधार पर प्रदेशी की पंचायतें भंग कर दे. मामले को लेकर अब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है अब 31 अगस्त को सरकार को हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना होगा.
‘अकाली नेता ने दाखिल की थी याचिका’
आपको बता दें कि पंचायतें भंग करने के मामले में शिरोमणि अकाली दल के नेता गुरजीत सिंह तलवंडी की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिका में बताया गया था कि पंजाब सरकार ने 10 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी कर ग्राम पंचायतों को भंग कर दिया था. ये अवैध, मनमानी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है.
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