चंडीगढ़: पंजाब की भगवंत मान सरकार गुजरात चुनाव से पहले ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है. इस पर आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में कोई फैसला लिया जा सकता है. ओल्ड पेंशन स्कीम देश में गैर बीजेपी दलों के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने अपनी सरकार बनने पर इसे लागू करने का भी फैसला किया है. कांग्रेस की छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार ने इसे लागू कर देने का दावा भी किया है. वहीं पंजाब में सरकार चला रही है कि गुजरात में उसकी सरकार बनने पर इसे लागू किया जाएगा. इसलिए चुनाव से पहले वह इसे पंजाब में लागू कर देना चाहती है. 


क्या कहा था भगवंत मान ने


पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 19 सितंबर को किए एक ट्वीट में लिखा था, ”मेरी सरकार पुरानी पेंशन प्रणाली (ओपीएस) को फिर से लागू करने पर विचार कर रही है. मैंने अपने मुख्य सचिव से इसके कार्यान्वयन की व्यवहार्यता और तौर-तरीकों का अध्ययन करने के लिए कहा है. हम अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.''


मुख्यमंत्री मान ने मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ को इस योजना के वित्तीय प्रभावों का अध्ययन करने का निर्देश दिया था. सूत्रों ने कहा कि सरकार एक तरीका निकालने के लिए कानूनी राय ले रही है जिससे सरकार पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से अपना पैसा वापस पाने का दावा कर सके. कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत अंशदायी पेंशन कोष में देते हैं. सरकार 14 फीसदी का भुगतान कर इसकी बराबरी करती है. इसके बाद राशि पीएफआरडीए के पास जमा करा दी जाती है. यह राशि करीब 18 हजार करोड़ रुपये है. इसे पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए वापस लेना होगा.


पीएफआरडीए से लेना होगा पैसा


खबरों के मुताबिक एक अधिकारी का कहना है कि पीएफआरडीए ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारों को पैसा वापस करने से इनकार कर दिया है, इसलिए हम आधे-अधूरे मामले का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं. हम पीएफआरडीए से साकारात्मक जवाब प्राप्त करना चाहते हैं. हालांकि राज्य के मुख्य सचिव जंजुआ ने कहा है कि इस मामले को एक दो दिन में हल कर दिया जाएगा. 


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