Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी से जुड़े लाखों रुपये के कानूनी खर्च देने से इनकार कर दिया है. इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय ने करीब 55 लाख रुपये का भुगतान कर फाइल लौटा दी है. बताया जा रहा है कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील का था, जिन्होंने कैप्टन सरकार के दौरान पंजाब की रोपड़ जेल में मुख्तार अंसारी की हाजिरी बरकरार रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा था.
सीएम मान ने लौटाई फाइल
इस वकील की एक-एक पेशी पर पंजाब सरकार को करीब 11 लाख रुपए का खर्च आया. इस बात की जानकारी खुद सीएम मान ने ट्वीट कर दी है. सीएम भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा है कि यूपी के अपराधी को आराम और सुविधा के साथ रोपड़ जेल में रखा गया था. 48 बार वारंट जारी करने के बाद भी पेश नहीं हुआ. महंगे वकील, कीमत 55 लाख. खर्चे से फाइल लौटा दी गई है.
रोपड़ जेल में बंद था मुख्तार अंसारी
आपको बता दें कि मुख्तार अंसारी करीब ढाई साल (2019-2021) पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था. पंजाब पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर उत्तर प्रदेश से लाई थी. मोहाली पुलिस ने एक बिल्डर की शिकायत पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ केस दर्ज किया था. वहीं, मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में करीब 47 मुकदमे दर्ज हैं, जिनके निस्तारण के लिए विशेष अदालत का गठन किया गया है. यूपी पुलिस चाहती थी कि पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को वापस भेजे, लेकिन पंजाब सरकार अंसारी को वापस भेजने से इनकार करती रही.
यूपी सरकार ने खटखटाया था SC का दरवाजा
जहां इस बात का पता चला है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 बार पंजाब सरकार को पत्र लिखकर मुख्तार अंसारी की वापसी की मांग की थी और हर बार पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी की खराब तबीयत का जिक्र किया था. आखिरकार उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके खिलाफ पंजाब सरकार ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवाएं लेकर केस लड़ा. इसी मामले का फीस बिल 55 लाख रुपए था. मुख्यमंत्री कार्यालय को लगता है कि क्यों 55 लाख रुपये का बोझ राजकोष पर डाला जाए, जिसके कारण भुगतान की गई फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा वापस कर दी गई है.
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