Punjab Fire News: पंजाब के फाजिल्का (Fazilka) के एक गांव में लोगों ने मानवता की बेजोड़ मिशाल पेश की है. दरअसल, शनिवार की दोपहर लगभग सवा 3 बजे एक महिला जीतो बाई पत्नी पाला सिंह का अंतिम संस्कार गांव के श्मशानघाट में किया जा रहा था. इस दौरान करीब 500 मीटर की दूरी पर किसान कृष्ण लाल अपनी पोती रहमत के साथ खेत के पास एक मोटर वाले कमरे में बैठे थे. तभी अचानक हाई वोल्टेज बिजली के तारों से गिरी चिंगारी से गेहूं की फसल में आग लग गई. वहीं कुछ ही पलों में हवा के कारण आग पूरे खेत में फैल गई जिससे कृष्ण लाल उनकी पोती फंस गए. इतने में आग का यह भयावह रूप देखकर अंतिम संस्कार में शामिल लोग शव को ससम्मान वहीं छोड़कर दोनों को बचाने दौड़ पड़े.
लोगों ने बताया कि जिसके हाथ में जो भी आया उसी सी आग बुझाने की कोशिश में लग गया. गांव और पास के खेतों की मोटरें चलाकर लोग पानी लाने लगे. अधिकतर लोग पास के बकैन के पेड़ से टहनियां तोड़कर आग की लपटों पर मार रहे थे, ताकि वह फैलने नहीं पाए. लगभग आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. इसके बाद कृष्ण लाल और उनकी पोती को वहां से निकाला गया. वहीं आग में फंसे कृष्ण लाल ने बताया कि वाकई ऐसा लग रहा था कि जैसे मौत दरवाजे पर खड़ी थी. मुझ खुद से ज्यादा चिंता चार साल की पोती की थी. मौत के मुंह से गांव वालों ने हमें निकाल लिया. सरपंच के साथ ही सभी गांव वालों ने जान की बाजी लगाकर मुझे बचाया है.
कैसे हुआ हादसा
कृष्ण लाल ने आगे बताया कि मैं चारे के खेत में पानी चलाने के लिए गया था. साथ में चार साल की पोती रहमत भी मोटर वाले कमरे में मौजूद थी. अचानक पोती को पटाखों की आवाज सुनाई थी. उसने बताया फिर भी मैंने अनसुना कर दिया. तभी आग की लपटें दिखीं तो उसने बताया कि दादू गेहूं में पटाखे चल रहे हैं. जब बाहर निकलकर देखा तो खेत में आग का तांडव था. आग की लपटें तेजी से हमारी तरफ आ रही थीं. बचकर भागने का कोई भी रास्ता नहीं दिख रहा था. शोर मचाने के सिवाय कोई दूसरा उपाय नहीं था. मेरी आवाज पड़ोस के खेत में काम कर रही महिला ने सुना. तब उसने चिल्लाकर आवाज लगाई और अंतिम संस्कार में शामिल होने आए लोगों ने हमारी जान बचाई.