Punjab News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि यदि पत्नी बार-बार पराए मर्द के साथ संबंध बनाए तो उसे व्यभिचार मानते हुए भरण-पोषण देने से इनकार किया जा सकता है. कोर्ट ने आगे कहा कि एक बार पराए मर्द से संबंध बनाए जाने पर पति पत्नी को भरण-पोषण से देने से इनकार नहीं किया जा सकता है.
पत्नी ने कहा
दरअसल फैमिली कोर्ट में दायर एक याचिका में पत्नी ने खुद के लिए और अपने तीन नाबालिग बच्चों की ओर से सीआरपीसी की धारा 125 के तहत यह कहते हुए मामला दर्ज कराया था कि उसकी शादी अप्रैल 2004 में हुई थी. लेकिन याचिकाकर्ता (पति) ने उसकी उपेक्षा की है, उसे और 3 बच्चों को पालने से मना कर दिया. याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के आरोपों का इस आधार पर विरोध किया कि उसके विवाहेत्तर संबंध थे और उसने मई 2005 में लिखित रूप में इसे स्वीकार किया था.
जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटा जा सकता
याचिकाकर्ता बच्चों का बॉयोलॉजिकल पिता होने पर भी संशय जताया. याचिकाकर्ता की ओर से मामले में पेश साक्ष्यों को कोर्ट द्वारा एग्जामिन करने के बाद, उसने एक हस्तलेख विशेषज्ञ के माध्यम से पत्नी द्वारा 2005 में लिखे गए पत्र की जांच कराने के लिए आवेदन दिया. वहीं हाईकोर्ट ने पति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पति ने पत्नी को तीन बच्चों के साथ छोड़ दिया. ऐसे में अपने बच्चों की परवरिश व देखरेख की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटा जा सकता है.