Haryana News:  हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने एक दुष्कर्म पीड़िता की याचिका को मंजूर करते हुए उसे गर्भपात की इजाजत दी है. हाईकोर्ट का कहना है कि दुष्कर्म की वजह से पीड़िता का ठहरा गर्भ उसे मानसिक स्वास्थ पर गंभीर चोट है. ऐसे में इसे खत्म किया जाना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया तो ये पीड़िता को स्वायत्तता से वंचित रखने के जैसा होगा. 


‘परिवारिक सदस्य ने किया था दुष्कर्म’
आपको बता दें कि हरियाणा के करनाल निवासी 26 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसमें उसकी तरफ से बताया गया कि वो परिवार के करीबी सदस्य से दुष्कर्म का शिकार हो गई. जिसकी वजह से वो गर्भवती हो गई और अब उसे गर्भ गिराने की इजाजत दी जाए. इसपर हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि सामान्य तौर पर गर्भावस्था की अवधि 20 सप्ताह से अधिक नहीं होने पर गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है. 


कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश
हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि दुष्कर्म के कारण गर्भावस्था की स्थिति में बच्चे का जन्म महिला की मानसिक स्थिति पर बुरा असर ड़ाल सकता है. ऐसे में इस गर्म को खत्म किया जाना जरूरी है. लेकिन एक कुवांरी महिला को गर्भावस्था को जारी रखने के लिए मजबूर किया गया तो ये सही नहीं रहेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से साफ है कि पीड़िता का गर्भपात करना कोई खतरे भरा नहीं है बल्कि यह सुरक्षित रहेगा. ऐसे में महिला की गरिमा का अपमान होने से बचाने के लिए गर्भपात किया जा सकता है. कोर्ट की तरफ से हरियाणा सरकार को आदेश जारी किया गया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर पीड़िता के गर्भपात की व्यवस्था की जाए.


आपको बता दें कि बीती 26 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने भी एक ऐसे ही मामले पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता को 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. 


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