Punjab Haryana HC: ओनरशिप विवादों के निर्णय के तरीके को बदलने के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेल डीड के लिए दो सत्यापित गवाहों की जरूरत नहीं है. जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने कहा कि वास्तव में सत्यापित गवाहों द्वारा सत्यापन के लिए बहुत कम दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. जस्टिस क्षेत्रपाल ने आगे फैसला सुनाया कि अदालत की फाइल पर ओरिजनल सेल डीड को रिकॉर्ड में रखने की भी जरूरत नहीं है. इसकी कॉपी को रिकॉर्ड में रखते हुए इसकी जांच की जा सकती है.
आगे उन्होंने कहा क्रॉस इग्जामिन के लिए कोर्ट द्वारा एक गलत रूल स्थापित किया गया है. जिसकी वजह से न केवल कोर्ट का समय बर्बाद होता है, बल्कि पक्षों और गवाहों को भी असुविधा होती है. न्यायमूर्ति क्षेत्रपाल ने कहा यह फैसला उस मामले में आया जहां वादी कुछ अन्य लोगों के साथ जनवरी 1980 में पंजीकृत सेल डीड के आधार पर जमीन के एक हिस्से के मालिक थे.
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इस मामले में लिया फैसला
यह मामला न्यायमूर्ति क्षेत्रपाल के संज्ञान में तब आया जब मुकदमे को खारिज करने के बाद भी एक दूसरी अपील दायर की गई. इस अपील में वादी अपने पक्ष में सेल डीड साबित करने में विफल रहा. न्यायमूर्ति क्षेत्रपाल ने कहा कि नीचली अदालतों ने यह देखते हुए गलती की कि ओरिजनल सेल डीड सबूत में पेश नहीं किया गया था. वहीं वादी ने कहा कि वह ओरिजनल सेल डीड लाया था. प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने न तो कोई आपत्ति जताई और न ही अदालत से मामले के रिकॉर्ड पर ओरिजनल सेल डीड को बनाए रखने का अनुरोध किया.
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