Haryana News: केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार एसवाईएल नहर के मुद्दे पर सहयोग नहीं कर रही है. अब हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने नहर के पानी पर राज्य के दावे को दोहराया है. हरियाणा सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया है कि पंजाब के नए मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. अब, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने और इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का प्रयास करने का निर्देश दिया है.



राज्य के लोगों का अधिकार
सीएम खट्टर ने फिर कहा कि एसवाईएल के पानी पर राज्य के लोगों का अधिकार है और वे किसी भी कीमत पर इस पर दावा नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा कि, "एसवाईएल का पानी हरियाणा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. एक तरफ यह पानी हमें नहीं मिल रहा है तो दूसरी तरफ दिल्ली हमसे और पानी की मांग कर रही है. अब इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने के लिए समय सीमा तय करना बहुत जरूरी हो गया है." मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल नहर का काम पूरा नहीं होने से रावी, सतलुज और ब्यास का बिना सरप्लस वाला पानी पाकिस्तान जा रहा है.


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पुरानी है लड़ाई
पंजाब और हरियाणा के बीच ये मुद्दा नया नहीं है. एक नवंबर 1966 को हरियाणा के अस्तित्व में आने से लेकर ये अब तक 14 बार यह राजनीतिक मुद्दा बना है, लेकिन आज तक दोनों इस पर उलझते ही रहे हैं. 1966 से पहले हरियाणा, पंजाब का हिस्सा होता था. 1966 में हरियाणा बना तो प्रदेश में सिंचाई के पानी की कमी थी. इसको दूर करने के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से 31 दिसंबर 1981 को पंजाब और हरियाणा के बीच जल समझौता हुआ था.


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