Punjab Health Services: पंजाब सरकार द्वारा नए डॉक्टरों की भर्ती न करने के कारण सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को काम की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण अब डॉक्टरों ने अपनी नौकरी छोड़ना शुरू कर दिया है. बठिंडा जिले के दो एसएमओ सहित छह डॉक्टरों ने नोटिस दिया है स्वास्थ्य विभाग में अपनी नौकरी छोड़ दी.


बेशक पंजाब सरकार पंजाब में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और आने वाले दिनों में ये मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं क्योंकि बठिंडा के दो एसएमओ समेत जिले के आठ अलग-अलग स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग को इस्तीफे का नोटिस दिया है.


डॉक्टर का नौकरी छोड़ने का क्या है कारण
कोरोना काल में बठिंडा जिले के 11 डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी थी, जबकि पिछले दो साल में चार डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं, जुलाई से अगस्त तक और भी डॉक्टर नौकरी छोड़ेंगे, इसकी मजबूरी बताई जा रही है, लेकिन इसका मुख्य कारण अनावश्यक काम का दबाव, वीआईपी ड्यूटी, कई डॉक्टर दो स्टेशनों पर काम कर रहे हैं और पूरा वेतन नहीं मिलना भी मुख्य कारण है. बठिंडा सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर सतीश जिंदल ने भी स्वास्थ्य विभाग को अपने इस्तीफे का नोटिस भेज दिया है.


सरकार नहीं दे रही कोई ध्यान
वहीं डॉक्टर यूनियन के नेताओं का भी मानना है कि डॉक्टर परेशानियों के कारण अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं, उन्होंने कहा कि लंबे समय से डॉक्टरों की भर्ती नहीं होने के कारण डॉक्टरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. जिसके चलते लगातार डॉक्टर अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने सरकार से कई बार भर्ती और अन्य मांगों को लेकर मांग की है, लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.


भवन तो है  लेकिन योग्य डॉक्टरों की है कमी
वहीं डॉक्टरों को नोटिस देने के बाद आम लोगों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ज्यादातर विशेषज्ञ डॉक्टरों को इमरजेंसी या वीआईपी ड्यूटी पर लगा दिया जाता है, जिससे आम लोगों को मिलने वाले इलाज से वंचित रहना पड़ता है. लोगों का कहना है कि सरकार भवन तो बना रही है, लेकिन योग्य डॉक्टरों की कमी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


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