Punjab News: पंजाब (Punjab) में पंचायत भंग करने के मामले में दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों (IAS Officials) को निलंबित कर दिया गया. आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के इस फैसले पर बीजेपी (BJP) ने हमला बोला है. बीजेपी (BJP) ने कहा कि पंचायतें भंग करने का फैसला अधिकारियों का नहीं था बल्कि सीएम भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने ही यह फैसला लिया था. 


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि सीएम भगवंत मान को पता न हो कि वे किस फाइल पर दस्तखत कर रहे हैं. जाखड़ ने कहा कि सरकार को फैसला वापिस लेने पर मजबूर होना पड़ा. बता दें कि इससे पहले विपक्षी शिरोमणि अकाली दल ने भी सरकार पर सवाल दागे हैं. पार्टी ने कहा कि आईएएस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया गया है.


अकाली दल के नेता मजीठिया ने किया यह दावा
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी पंजाब सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि पंचायतें भंग करने के निर्णय की फाइल पर 7 अगस्त को सीएम भगवंत मान और पंचायती राज मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने हस्ताक्षर किए थे. इसके तीन दिन बाद 10 अगस्त को राज्य की 13241 पंचायतें भंग करने का आदेश जारी किया गया था.


अधिकारियों को किया गया मजबूर- मजीठिया
मजीठिया ने यह दावा किया कि पंचायती राज के निदेशक और विकास के वित्तीय आयुक्त को दो दिनों के भीतर फाइल साइन करने के लिए मजबूर किया गया. मजीठिया ने कहा कि असली दोषी तो सीएम और पंचायती राज मंत्री हैं. मजीठिया यहीं तक नहीं रुके उन्होंने आगे सीएम मान पर लोकतंत्र की हत्या करने का भी आरोप लगा दिया. उन्होंने कहा कि मंत्री लालजीत भुल्लर और सीएम मान ने पंचायत निधि हड़पने के उद्देश्य यह तानाशाही फैसला लिया


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