Punjab News: नए कृषि कानून के खिलाफ एक तरफ किसानों का आंदोलन जारी है तो दूसरी तरफ खरीफ सीजन में धान की खरीद पर मुनाफे का खेल भी शुरू हो गया है. जानकारी के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में केंद्र ने पंजाब में धान खरीद लक्ष्य 170 टन निर्धारित किया है. लेकिन राज्य सरकार इसे बढाकर 190 लाख टन किए जाने की मांग कर रही है.
गौरतलब है कि पंजाब-हरियाणा में उत्पादन की तुलना में अधिक धान की सरकारी खरीद होती है. साल 2021-22 के पहले पूर्वानुमान के मुताबिक पंजाब में 180 लाख टन धान पैदा हुआ है जबकि 250 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है.
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एफसीआई के अधिकारियों का कहना है कि पंजाब और हरियाणा में जो सरप्लस धान की खरीद होती है वो यूपी, बिहार और राजस्थान से कम दाम पर खरीद करके लाई जाती है. इस खेल में आढ़तिया, मिलर, मंडी बोर्ड अधिकारी और खाद्य एवं विपणन विभाग के राज्य और केंद्र के अधिकारी तक शामिल रहते हैं. हालांकि राज्य सरकार के अधिकारी तर्क देते हैं कि सरकारी अनुमान से अधिक धान पैदा होता है और धान की उन्नत किस्में अधिक पैदावार दे रही हैं.
क्या यूपी से सीधे आता है चावल?
बता दें कि पंजाब और हरियाणा में धान के कुल उत्पादन का बड़ा हिस्सा बासमती का है, जिसकी सरकारी खरीद नहीं होती, ये खुले बाजार में बिकता है. इस तरह दूसरे राज्यों से आने वाले धान की मात्रा और भी अधिक रहती है. एक अनुमान के मुताबिक पंजाब में सबसे ज्यादा धान राजस्थान से आता है जबकि यूपी से सीधे चावल आता है.
पंजाब कृषि विभाग के मुताबिक इस साल कुल 27.36 लाख हेक्टेयर धान की बुआई की गई, जिसमें 6.50 लाख हेक्टेयर बासमती और 20.86 लाख हेक्टेयर गैर बासमती है. खरीफ सीजन 2020-21 में हुई कुल धान की खरीद 673.53 लाख मीट्रिक टन में से 202.8 लाख मीट्रिक टन यानी कि 30% अकेले पंजाब की थी.
सरकार का दावा है कि वो फसल खरीद में मुनाफे के खेल को रोकने के लिए निगरानी कर रही है.
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