Punjab: 27 साल बाद CBI कोर्ट का फैसला, पूर्व SHO को उम्र कैद और DSP को सुनाई सात साल की सजा, जानें पूरा मामला
Fruit Seller Murder Punjab: पंजाब पुलिस के अधिकारियों के अनुसार फल विक्रेता गुलशन कुमार (Fruit Seller Murder) को 22 जून 1993 घर से अगवा कर 22 जुलाई को फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई.
Punjab News: पंजाब के मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व पुलिस अधिकारी से जुड़े हत्या के मामले में शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. मामला यह है कि तरनतारन जिले में 1993 में एक फल विक्रेता को उसके घर से अगवा करने के बाद फर्जी मुठभेड़ की आड़ उसकी हत्या करने के जुर्म में यह सजा सुनाई है.
अधिकारियों ने बताया कि पूर्व स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) गुरबचन सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के अलावा अदालत ने तरनतारन शहर के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) दिलबाग सिंह को भी अपहरण से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 के तहत सात साल जेल की सजा सुनाई. दिलबाग सिंह पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.
पंजाब पुलिस के अधिकारियों के अनुसार फल विक्रेता गुलशन कुमार को 22 जून 1993 को उनके घर से अगवा कर लिया गया था. एक महीने तक अवैध हिरासत में रखा गया. उसी साल 22 जुलाई को फर्जी मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी गई.
इस मामले में तीन अन्य आरोपी सहायक उप-निरीक्षक अर्जुन सिंह, देविंदर सिंह और उप-निरीक्षक बलबीर सिंह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर 1995 में यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया.
छह साल बाद सीबीआई ने दायर की थी चार्जशीट
सीबीआई ने 1999 में अपना आरोप पत्र दायर किया था. 21 साल बाद 7 फरवरी, 2020 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने अपने एक बयान में कहा कि मुकदमे के दौरान सीबीआई ने प्रत्यक्षदर्शियों सहित 32 गवाहों को पेश किया, जिन्होंने ठोस सबूत दिए कि दिलबाग सिंह और गुरबचन सिंह ने कुमार को उनके घर से अगवा किया, उन्हें अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा और बाद में 22 जुलाई, 1993 को उनकी हत्या कर दी।
हत्या को मुठभेड़ में बदलने की कोशिश
उन्होंने कहा कि पेश किए गए सबूतों से पता चलता है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने हत्या को एक मुठभेड़ में बदलने की कोशिश की थी. दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा गवाहियों और दस्तावेजों के आधार पर गढे गए साजिशों को सही पाया. पुलिस ने 22 जुलाई, 1993 को कुमार के परिजनों को सूचित किए बिना उनके शव का तरनतारन में अंतिम संस्कार कर दिया.
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