Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा की जा रही आलोचना के बीच रविवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को राज्य से संबंधित मुद्दों पर एक नवंबर को खुली बहस की चुनौती दी है.


एसवाईएल नहर के मुद्दे पर चार अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद पंजाब के विपक्षी दलों ने राज्य में आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करें, जो राज्य में सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था. साथ ही वहां किस कदर निर्माण किया गया है, उसका भी आकलन करने को कहा था.


भगवंत मान की विपक्ष को चुनौती


भगवंत मान ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़, कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के अलावा शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को खुली बहस की चुनौती दी है. विपक्षी दलों के नेताओं ने मान की चुनौती को स्वीकार कर लिया, लेकिन एसवाईएल के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी सरकार की आलोचना भी की.


सीएम भगवंत मान ने कहा, ‘यह भाजपा की पंजाब इकाई के अध्यक्ष जाखड़ जी, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, राजा वडिंग, कांग्रेस के प्रताप बाजवा को खुला आमंत्रण है कि वे रोज-रोज झगड़ने के बजाय पंजाब की जनता और मीडिया के सामने आकर बैठें. लूट-खसोट किसने की और कैसे की, इस पर लाइव बहस करें.’ उन्होंने भाई-भतीजावाद, टोल प्लाजा और सतलुज नदी के पानी के बंटवारे से लेकर अन्य सभी मुद्दों पर बहस की अपील की.


सीएम मान ने दी खुली चुनौती


मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में कहा, ‘भाई-भतीजा, दोस्त, टोल प्लाजा, युवाओं से संबंधित विषयों, खेती, व्यापार, दुकानदारों, 'गुरबाणी', नदी का पानी. आइए इन सभी मुद्दों पर लाइव बहस करें. आप अपने साथ कागजात ला सकते हैं, लेकिन मैं सिर्फ बोलूंगा. एक नवंबर पंजाब दिवस एक अच्छा दिन होगा (बहस के लिए). आपको तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलेगा. मैं पूरी तरह से तैयार हूं, क्योंकि सच बोलने के लिए मुझे चीजों को रटने की जरूरत नहीं है.’


मुख्यमंत्री ने बाद में एक बयान में कहा कि इन नेताओं के हाथ और आत्माएं राज्य के खून से रंगे हुए हैं क्योंकि उन्होंने पंजाब और इसके लोगों को धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य के लोग इन नेताओं को पंजाब के खिलाफ उनके 'पापों' के लिए कभी माफ नहीं कर सकते. मान ने इन नेताओं से प्रस्तावित बहस के लिए अच्छी तरह से तैयारी करने को कहा, जहां वह उन्हें उनके कुकर्मों के लिए बेनकाब करेंगे.


हम बहस के लिए तैयार हैं- जाखड़ 


वहीं सीएम भगवंत मान की चुनौती का जवाब देते हुए भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख जाखड़ ने कहा कि वह पंजाब के हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं. सुनील जाखड़ ने पोस्ट में कहा, ‘सबसे पहले, आप हमें बताएं कि किस दबाव में या किस राजनीतिक स्वार्थ के लिए आपने पंजाब के पानी के गंभीर मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के सामने घुटने टेक दिए. पंजाब जवाब चाहता है. वहीं भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार पर नदी जल पर राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया था. जाखड़ ने आरोप लगाया था कि सरकार ने एसवाईएल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में पंजाब के रुख को कमजोर किया है. सुनील जाखड़ ने शनिवार को दावा किया था कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में कहा कि सरकार नहर बनाने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्षी दल और किसान इसका विरोध कर रहे हैं.


सुखबीर सिंह बादल ने भी चुनौती स्वीकार की


बता दें, एसवाईएल के मुद्दे पर मान सरकार को विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी कहा कि वह मान की चुनौती स्वीकार करते हैं. सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि एक नवंबर अभी बहुत दूर है. मैं 10 अक्टूबर को आपके घर चंडीगढ़ आ रहा हूं. अगर आप में हिम्मत है तो आप बाहर आकर जरूर मिलें. हम पंजाब के पानी सहित राज्य के हर मुद्दे पर बातचीत करेंगे, वह भी मीडिया के सामने.


बादल ने मुख्यमंत्री मान से आप नेता अरविंद केजरीवाल को भी बुलाने को कहा. उन्होंने मान को मोहरा बताते हुए कहा कि केजरीवाल ही पंजाब के असली मुख्यमंत्री हैं. शिअद ने एसवाईएल मुद्दे पर 10 अक्टूबर को चंडीगढ़ में भगवंत मान के आधिकारिक आवास का घेराव करने की भी घोषणा की है.


मान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं- कांग्रेस


कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख वडिंग ने मान पर मुद्दे को भटकाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की और कहा कि बेहतर होता कि उन्होंने एसवाईएल मुद्दे पर सार्थक चर्चा के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और किसान नेताओं को बुलाया होता. वडिंग ने मान से राज्य से संबंधित कई सवाल भी पूछे. वडिंग ने मुख्यमंत्री से पिछले डेढ़ साल में आपराधिक मामलों के पंजीकरण दर में वृद्धि, नशीली दवाओं से संबंधित मामलों में वृद्धि, राज्य ऋण, आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या, विज्ञापनों पर खर्च और बाढ़ प्रभावितों को मुआवजा देने के बारे में विवरण मांगा. 


कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि उन्होंने मान की चुनौती स्वीकार कर ली है, लेकिन उन्होंने कहा कि बहस किसी सरकारी भवन (विधानसभा) के बजाय किसी आम जगह पर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बहस का नेतृत्व उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए जिस पर राजनीतिक दल सहमत हों।


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