Punjab: जानबूझकर पीएम के साथ काफिले में नहीं गये मुख्य सचिव और डीजीपी, प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रहे थे सुरक्षाकर्मी- abp न्यूज़ सूत्र
प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर abp न्यूज के सूत्रों से मिली जानकारी में जो खुलासा हुआ है, वह हैरान करने वाला है. फिलहाल गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
PM Modi Security Compromised: बीते दिन पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर बवाल मच गया है. पंजाब सरकार द्वारा इसे सामान्य घटना मानकर टालने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन abp न्यूज के सूत्रों से मिली जानकारी में जो खुलासा हुआ है, वह हैरान करने वाला है. दरअसल सूत्रों के मुताबिक जिन सुरक्षाकर्मियों को पीएम का रास्ता साफ करवाना था वो किसानों के साथ चाय पी रहे थे. साथ ही यह भी जानकारी सामने आयी है कि जानबूझकर पीएम के साथ काफिले में मुख्य सचिव और डीजीपी नहीं गये थे. अब ऐसे में कई बड़े सवाल उठ रहे हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है.
क्या हैं खुलासे
पहला खुलासा-
फिरोजपुर के जिस फ्लाईओवर से पीएम मोदी के काफिले को गुजरना था वहां प्रदर्शनकारी किसानों की भीड़ इकट्ठा थी. उस जगह पर पीएम के काफिले के लिए रास्ता साफ कराने की बजाय पुलिसवाले चाय पी रहे थे.
दूसरा खुलासा-
ये जानकारी सामने आई है कि प्रधानमंत्री के काफिले में राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव की गाड़ियां रिजर्व रखी गई थी. लेकिन दोनों बड़े अफसर काफिले में शामिल नहीं हुए. आम तौर पर जब भी किसी भी राज्य में पीएम का दौरा होता है तो मुख्यमंत्री के साथ-साथ उस राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी खुद पीएम को रिसीव करने के लिए और उनके काफिले के साथ मौजूद रहते हैं. लेकिन पंजाब में ऐसा नहीं हुआ. इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि क्या पंजाब के अफसरों को सबकुछ पहले से पता था ? अगर अफसरों को सब पता था तो फिर पीएम को सड़क से जाने क्यों दिया ?
तीसरा खुलासा-
प्रदर्शनकारी किसानों को रूट की जानकारी थी. एबीपी न्यूज से बातचीत में एक चश्मदीद ने बताया कि किसानों को पता था कि पीएम मोदी इस रास्ते से आ रहे हैं. एसपीजी, केंद्रीय खुफिया एजेंसियां और पीएम जिस राज्य में गए हैं वहां की स्थानीय पुलिस-प्रशासन, तीनों मिलकर प्रधानमंत्री का रूट तय करते हैं, यह मिलाजुला निर्णय होता है और अंतिम निर्णय एसपीजी लेती है, रूट की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की होती है. यानि अगर रूट में किसी तरह की कोई रूकावट है तो उसे क्लीयर करने की जवाबदेही स्थानीय पुलिस की है. लेकिन अगर किसान कई घंटों से वहां बैठे थे, तो इसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों को फौरन मिल जानी चाहिए थी और सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक पहले से तय किए गए किसी बैकअप रूट से पीएम के काफिले को ले जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
बीजेपी महासचिव तरुण चुघ ने ट्वीट किया कि जो बात भाजपा कह रही थी वह साबित हो चुकी है. BKU के नेता सुरजीत सिंह फूल ने कबूल किया है कि PM का रास्ता BKU के कार्यकर्ताओं ने रोका था और PM सड़क मार्ग से आ रहे हैं यह सूचना भी उन्हें पंजाब पुलिस ने दी. ऐसे अब तो सब साक्ष्य भी सामने हैं तो क्या चन्नी सरकार अपनी चुप्पी तोड़ेगी?
गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
बता दें कि पीएम की सुरक्षा में चूक को गृह मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है और पंजाब सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. अमित शाह ने खुद ट्वीट करके कहा है कि पीएम की सुरक्षा में चूक मंजूर नहीं, सबकी जवाबदेही तय की जाएगी.
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