Family Dispute: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद पर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद के मामले में बच्चे के डीएनए परीक्षण के लिए निर्देश जारी कर उसके पितृत्व पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने गुरुग्राम के फैमिली कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें पत्नी के गुजारा भत्ता मांगने पर पति की मांग पर बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने को कहा गया था. हाई कोर्ट ने कहा, गुजारा भत्ता पत्नी ने मांगा है, बच्चे ने नहीं. इसलिए उसके भविष्य के साथ नहीं खेला जाना चाहिए.


रिकॉर्ड बच्चे का पिता साबित करने के लिए काफी
हाई कोर्ट के जस्टिस सुवीर सहगल ने यह आदेश गुरुग्राम की महिला की तरफ से दायर अपील पर दिया. महिला ने गुरुग्राम फैमिली कोर्ट के 19 जनवरी, 2019 के डीएनए टेस्ट के आदेश को चुनौती दी थी. उसने कहा, बच्चे के पितृत्व परीक्षण की जरूरत नहीं है, क्योंकि राशन कार्ड, आधार कार्ड, स्कूल फीस की रसीद और अन्य दूसरे रिकॉर्ड प्रतिवादी को बच्चे का पिता साबित करने के लिए काफी हैं. 


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2001 में हरिद्वार के एक मंदिर में हुई थी शादी 
महिला के मुताबिक, उसकी शादी 2001 में हरिद्वार के एक मंदिर में हुई थी और 2005 में बच्चे का जन्म हुआ था. हालांकि मतभेद के चलते वह अलग रह रही थी और अपने खर्चों के लिए पति से 50 हजार रुपये की मांग की थी. पति के मुताबिक, वह बड़ी उम्र का व्यक्ति है. पहली पत्नी की 2002 में मृत्यु हो चुकी है. उसके दोनों बेटों की शादी हो चुकी है. हाई कोर्ट ने कहा, मामला गुजारा भत्ते का है. इस मामले में डीएनए परीक्षण का निर्देश जारी कर बच्चे के पितृत्व पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.


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