Punjab News: कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को फौरी राहत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 23 साल पुराने सार्वजनिक संपत्ति नुकसान पहुंचाने के मामले में पढ़ने लायक डाक्यूमेंट्स मुहैया कराने और उनकी अर्जी को निस्तारित करने का वाराणसी की जिला अदालत को आदेश दिया है. बता दें कि, अर्जी निस्तारित नहीं होने तक सुरजेवाला पर किसी तरह की उत्पीड़नात्मक करवाई नहीं किए जाने का भी निर्देश दिया.


12 जुलाई से रिजर्व था जजमेंट


हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सिंह की सिंगल बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 12 जुलाई को ही अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. बता दें कि, साल 2000 में वाराणसी में हुए संवासिनी कांड में कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ केस दर्ज है. वहीं याचिका में जिला अदालत वाराणसी से पठनीय रिकॉर्ड मुहैया कराने की मांग की गई थी. जिससे वह अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें. वहीं याची का कहना है कि अदालत द्वारा उन्हें जो दस्तावेज मुहैया कराया गया है, वह पठनीय नहीं है.


इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस


वहीं इससे पहले हाई कोर्ट ने वाराणसी में दर्ज 23 साल पुराने मामले में एफआईआर रद्द करने से किया इंकार कर दिया था. कांग्रेस नेता के खिलाफ साल 2000 में आईपीसी की धारा 147, 332, 353, 336, 333, 427 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत आरोप लगाए गए थे. सुरजेवाला के खिलाफ वाराणसी के कैंट थाने में बलवा, तोड़फोड़, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी अधिकारियों और पुलिस पर हमला करने आदि गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. मुकदमे की कार्रवाई स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए वाराणसी में चल रही है. सुरजेवाला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मुकदमे की कार्रवाई व प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.




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