Union Minister Rao Inderjit Singh: 1857 की क्रांति के नायक राव तुलाराम के वंशज राव इंद्रजीत ने ना केवल अपनी जीत से हैट्रिक बनाई, बल्कि लगातार तीसरी बार केंद्र सरकार में मंत्री बनने की भी हैट्रिक बनाई. गुरुग्राम से लोकसभा की सियासी पिच पर 2009 से राव इंद्रजीत सिंह नॉट आउट चल रहे हैं. छह बार संसद में पहुंचने वाले वे हरियाणा के पहले राजनेता बन गए हैं.
राजनीति में अहीरवाल के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. गुरुग्राम लोकसभा में सबसे अधिक 60.34 फीसदी वोट शेयर लेने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है. आजादी के बाद हुए अब तक के चुनाव में राव इंद्रजीत ने सबसे ज्यादा वोट लेने का रिकॉर्ड साल 2019 के चुनाव में ही बनाया था. गुरुग्राम लोकसभा से जीत की हैट्रिक लगाने वाले भी राव इंद्रजीत सिंह पहले राजनेता है.
जाटूसाना से पहली बार लड़ा था चुनाव
राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी सियासी पारी का आगाज साल 1977 में जाटूसाना विधानसभा (अब कोसली) से किया था. उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह की परंपरागत सीट रही जाटूसाना में बड़े राव ने अपने ज्येष्ट पुत्र राव इंद्रजीत सिंह को यहां से अपना राजनीतिक वारिस बनाकर चुनाव मैदान में उतारा. यहां की जनता ने बड़े राव के फैसले पर अपनी मुहर लगाते हुए पहले ही चुनाव में राव इंद्रजीत की सियासत में दमदार एंट्री कराई. 1977 में चंडीगढ़ पहुंचने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यहां से लगातार चार बार 1977 से 1982, 1982 से 1987 और 1987 से 1991 और फिर 2000 से 2004 तक हरियाणा विधान सभा के सदस्य के तौर पर चंडीगढ़ पहुंचे.
1986 से 1987 तक उन्हें हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना खाद्य और नागरिक आपूर्ति बनाया गया. 1991 से 1996 तक वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. उन्होंने पर्यावरण एवं वन तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले.
1998 में पिता की पार्टी से लड़ा था चुनाव
महेंद्रगढ़ लोकसभा पर एकछत्र राज कर रहे उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह ने 1998 में उन्हें अपनी जगह लोकसभा का प्रत्याशी बनाया. राव पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर संसद की चौखट पर पहुंच गए और देश की 12वीं लोकसभा के सदस्य बने. यहां से उनका देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने का सिलसिला आरंभ हुआ. अगले ही चुनाव यानी साल 1999 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदियों से अपनी हार का बदला लिया. 1998 से 1999 तक राव संसद विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर्यावरण और वन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे.
2004 में वह फिर महेंद्रगढ़ से 14वीं लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए. मई 2004 में उन्हें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 तक वह इस जिम्मेदारी को निभाते रहे. फरवरी 2006 से 2009 तक राव केंद्रीय रक्षा उत्पादन राज्य मंत्री रहे. 31 अगस्त 2009 को उन्हें संसद की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति का सभापति बनाया गया. मई 2014 में उन्होंने गुरुग्राम से 16वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा. लगातार इस क्षेत्र से दूसरी तथा सांसद के रूप में तीसरी जीत हासिल की. 27 मई 2014 से 9 नवंबर 2014 तक वह केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन एवं योजना बनाए गए. मई 2019 में उन्होंने गुरुग्राम से जीत की हैट्रिक लगाते हुए 17वीं लोक सभा के लिए सांसद चुने गए. जून 2019 से लेकर 2024 तक वे केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन रहे.
(राजेश यादव की रिपोर्ट)