Punjab latest News: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर ने सोमवार (17 मार्च) को पार्टी नेताओं के बीच एकजुटता का आह्वान किया. उन्होंने पार्टी से अलग हुए नेताओं को अकाल तख्त के निर्देश का पालन करते हुए पार्टी में शामिल होने की अपील की है. बलविंदर सिंह भुंडर ने ये अपील पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद की है.
एसएडी के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा, "मैं 5 सदस्यीय समिति के सदस्यों सहित सभी नेताओं से अपील करता हूं कि वे अकाल तख्त के निर्देश का पालन करें. सभी मतभेदों को मिटाकर पंथ में एकता के लिए प्रयास करें. ताकि पंथिक ताकतों को मजबूत करने के साथ एसएडी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाली एजेंसियों को हराया जा सके."
अकाली दल के नेता बलविंदर सिंह भुंडर ने होला मोहल्ला के अवसर पर अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, "यह सच है कि सिख इतिहास में कई अवसर इस बात के गवाह है कि एकजुट होने पर कौम को मजबूती मिली और उसकी समृद्धि में भी बढ़ोतरी हुई. हमें अतीत से सीख लेनी चाहिए."
चंदूमाजरा, जागीर कौर और वडाला से की ये अपील
अकाली दल के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भुंडर ने कहा कि उन्होंने पहले भी अलग-थलग पड़े नेताओं से शिअद के सदस्यता अभियान में शामिल होने की अपील की थी. मैंने पहले भी उन्हें पार्टी की सदस्यता पर्चियां लेकर सदस्यता अभियान का हिस्सा बनने की पेशकश की थी. मैं इस प्रस्ताव को दोहराता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वे सदस्यता प्रतियां लें और उन्हें भर दें. ताकि संगठनात्मक चुनावों के हिस्से के रूप में अपनी पसंद के प्रतिनिधियों को चुना जा सके.
बलविंदर सिंह भुंदर के बयान से साफ है कि वो पार्टी के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जागीर कौर और गुरप्रताप सिंह वडाला सहित अन्य बागी नेताओं का नाम लिए बगैर जिक्र कर रहे थे.
परिसीमन का आधार संघीय ढांचे के खिलाफ
अकाली दल नेता ने खुलासा किया कि अकाली दल संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन पर चर्चा के लिए 22 मार्च को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लेगा. ऐसा ना करने से देश में असंतुलन पैदा होगा और परिवार नियोजन कार्यक्रमों का पालन करने वाले राज्यों का नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि परिसीमन संघवाद की अवधारणा के भी खिलाफ है, जिसमें उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में लोकसभा सीटों में 150 की वृद्धि होने की संभावना है. जबकि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए सीटों में मामूली वृद्धि होगी.
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