Sakshi Malik: साक्षी मलिक से मिले दीपेंद्र सिंह हुड्डा, बोले- 'न्याय मिलने तक साथ नहीं छोड़ेंगे', संन्यास को लेकर किया ये आग्रह
Sakshi Malik Retirement: डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद पर संजय सिंह की जीत के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी थी. शुक्रवार को उन्होंने कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात की.
Haryana: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पद संजय सिंह (Sanjay Singh) की जीत के बाद ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने गुरुवार को बड़ी घोषणा कर दी. साक्षी मलिक ने कहा कि वह अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी. इसके बाद शुक्रवार को साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान (Satyawart Kadian) ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) से मुलाकात की. इस दौरान दीपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) भी मौजूद थे.
साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादयान से मुलाकात के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया. हुड्डा ने लिखा, "भारत की एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान बहन साक्षी मलिक ने अपने साथ हुए घोर अन्याय और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से परेशान होकर कुश्ती खेल से संन्यास ले लिया. ये देश की महिलाओं के सम्मान और खेल जगत के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं."
'आंसूओं की बूंद-बूंद का हिसाब लेंगे'
हुड्डा ने पोस्ट में आगे लिखा, "आज सुबह साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादयान मिले. वे अपने साथ हुई वादाखिलाफी से बेहद आहत थे. हमने उनसे आग्रह किया देशहित में कुश्ती से संन्यास के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और उन्हें विश्वास दिलाया कि न्याय मिलने तक उनका साथ नहीं छोड़ेंगे." इससे पहले भी दीपेंद्र हुड्डा ने मलिक के संन्यास लेने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति की थी. उन्होने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था, “आंसूओं की बूंद-बूंद का हिसाब लेंगे, आज नहीं तो कल लेंगे.”
संजय सिंह के पैनल ने 15 में से 13 पद पर हासिल की जीत
बता दें कि साक्षी मलिक ने गुरुवार को बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह की भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत का विरोध करते हुए अपने कुश्ती के जूते टेबल पर रखे और कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की. बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के पैनल ने 15 में से 13 पद पर जीत हासिल की. इस नतीजे से तीन शीर्ष पहलवान मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को काफी निराशा हुई, जिन्होंने महासंघ में बदलाव लाने के लिए काफी जोर लगाया था.