पंजाब के संगरूर में लोकसभा उपचुनाव आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है.  भगवंत मान के विधायक बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर  शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान ने बड़ी जीत हासिल की है. इसी के साथ माना जा रहा है कि राज्य में सरकार बनाने के बावजूद भगवंत मान अपना गढ़ बचाने में नाकाम रहे और महज तीन महीने के भीतर ही उनका किला ढह गया. 


भगवंत मान की हारऔर सिमरनजीत सिंह मान की जीत के पीछे सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का भी बड़ा रोल माना जा रहा है. मूसेवाला की हत्या के बाद कानून व्यवस्था को लेकर पंजाब में आप सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही थी. इस बीच सिमरनजीत सिंह मान ने मूसेवाला का समर्थन किया और मान सरकार को आड़े हाथों लिया था. 



संगरूर लोकसभा उपचुनाव चुनाव को मान सरकार के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर भी देखा जा रहा था. इसके साथ ही यह हार आप के लिए इसलिए भी बड़ा झटका है क्योंकि खुद भगवंत मान यहां से दो बार सासंद रहे हैं. इस हार के बाद लोकसभा में आम आदमी पार्टी का अब एक भी सांसद नहीं होगा.


क्यों हुआ संगरूर में उपचुनाव?
इस साल की शुरुआत में राज्य विधानसभा चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा से भगवंत मान के इस्तीफे के कारण उपचुनाव कराना पड़ा. मान, जो अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं, ने 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में संगरूर सीट से जीत दर्ज की थी. इस साल मार्च में राज्य विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत के बाद संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव उसका पहला बड़ा चुनावी मुकाबला है.


सत्तारूढ़ आप के लिए उपचुनाव को अपना गढ़ बचाए रखने के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था. जबकि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिअद विधानसभा चुनावों में हार के बाद जीत दर्ज करना चाहते हैं.


आप ने गुरमैल सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, जो पार्टी के संगरूर जिले के प्रभारी हैं. जबकि कांग्रेस ने धुरी के पूर्व विधायक गोल्डी पर भरोसा जताया है. वहीं भाजपा ने बरनाला के पूर्व विधायक केवल ढिल्लों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो चार जून को पार्टी में शामिल हुए थे.


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