Biogas Plant in Sangrur: पंजाब में लगातार पराली जलाने की घटनाओं और केंद्र की ओर से जुर्माना दोगुना करने के बीच संगरूर में बायोगैस प्लांट किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है. संगरूर में बायोगैस का ये प्लांट जर्मन कंपनी वर्बियो ने लगाया है. संगरूर में पराली का कुल उत्पादन 15 लाख टन के करीब है, जिसमें से 3 लाख टन पराली को एक्स सीटू (xc2) मैनेजमेंट के तहत बैलेंस बनाकर बायोगैस प्लांट में भेज जाता है.
संगरूर के लहरागागा विधानसभा क्षेत्र में वर्बियो कंपनी का यह प्लांट 50 से 55000 मीट्रिक टन पराली का इस्तेमाल हर साल करता है. कंपनी के 50 से 60 के करीब बेलर किसानों के खेतों में से पराली की बेल्स बनाकर स्टॉक कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल साल भर किया जाएगा. पराली से बायोगैस बनाकर तेल कंपनियों को बेची जाती है और जो वेस्ट प्रोड्यूस हो रही है उसको फ्री ऑफ कॉस्ट ऑर्गेनिक खाद के रूप में किसानों को दिया जा रहा है.
संगरूर के डिप्टी कमिश्नर ने बायोगैस प्लांट का किया दौरा
डिप्टी कमिश्नर संगरूर ने रविवार (10 नवंबर) को बायोगैस प्लांट का दौरा किया और साथ ही वह खेतों में भी पहुंचे जहां पर बैलेंस मशीनों द्वारा बेल्स बनाकर पराली इकट्ठी की जा रही थी. यह बायोगैस प्लांट 2022 से लगातार काम कर रहा है. कंपनी के बेलर किसानों के खेतों में से बेल्स बनाकर उसे उठाने का काम करते हैं, जिसमें किसानों का कोई खर्चा नहीं आता है. वहीं, कंपनी द्वारा किसानों को भी रोजगार दिया गया है. एक बेलर मशीन पर 10 के करीब लोगों को काम भी मिल रहा है.
तेल कंपनियों को दी जाती है बायोगैस- संदीप ऋषि
संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने बताया, ''इस बायोगैस प्लांट के 15 से 20 किलोमीटर के रेडियस में प्लांट द्वारा बेल्स बनाकर लाई जाती हैं और फिर उसमें से बायोगैस तैयार की जाती है. फिर इस बायोगैस को तेल कंपनियों को दिया जाता है. इसे कंज्यूमर के व्हीकल में डाली जाती है. इस कंपनी के पास अपने बेलदार भी हैं और साथ में दूसरे किसानों को इन्होंने टेलर्स के लिए फाइनेंस किया है. उनके साथ जुड़कर खेतों में से पराली इकट्ठी करते हैं.''
बायोगैस प्लांट से लोगों को रोजगार
किसान छज्जू सिंह ने बताया कि उसके पास तीन बेलर हैं, जो सरकार की ओर से उन्हें 65% सब्सिडी पर मिले हैं. बाकी के 25% वर्बियो कंपनी द्वारा दिए गए हैं और 10% उन्होंने खुद इन्वेस्ट किया है. अब वह हर रोज खेतों में से पराली भारतीय कंपनी के यूनिट में भेज रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह पांच से छह गांव में से अब तक पराली इकट्ठी कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने करीब 30 लोगों को रोजगार दिया हुआ है. उनका कहना है कि इससे अच्छा मुनाफा हो रहा है.
बातचीत दौरान कंपनी के अधिकारी चमन लाल ने बताया कि कंपनी हर साल 55000 मीट्रिक टन के करीब पराली खेतों में से उठाती है और जिससे बायोगैस निकालकर तेल कंपनियों को बेची जाती है और जो वेस्ट प्रोडक्शन है उसे ऑर्गेनिक खाद के रूप में किसानों को फ्री ऑफ कॉस्ट दिया जाता है.
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