Shaheed Diwas 2023: भारत की आजादी के लिए देश के अनेक वीरों और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहूति दी. इनके बलिदान की वजह से ही देश की आजादी का इतिहास स्वर्णाक्षरों से लिखा गया है. हालांकि शहीद भगत सिंह का बिना नाम लिए आजादी का नाम लेना अपने आप में अधूरा है. आज 23 मार्च 2023 को पूरे भारत में शहीद दिवस मनाया जा रहा है, क्योंकि आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने देश की आजादी के लिए मुस्कराते हुए फांसी का फंदा चूम लिया था. वहीं भगत सिंह की जिंदगी के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें हर कोई नहीं जानता है. जहां शहीद भगत सिंह ने 23 साल की छोटी उम्र में ही देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी तो वहीं भगत सिंह उस गुरु की तस्वीर जेब में रखते जो महज 19 साल की उम्र में ही फांसी पर चढ़ गए थे.


जहां देश में आजादी के लिए कई क्रांतिकारियों ने क्रांति का बिगुल फूंक दिया था तो वहीं साल 1925-26 के दौर में सरदार भगत सिंह पर भी क्रांति का रंग पूरी तरह से चढ़ चुका था. लेखक विष्णु शर्मा की किताब 'गुमनाम नायकों की गौरवशाली गाथाएं' में शहीद भगत सिंह के जिंदगी से जुड़े एक किस्से में बताया गया है कि 1925-26 के दौर में भगत सिंह 'नौजवान भारत सभा' बना चुके थे और इसके साथ ही वह 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन पार्टी' के जरिए चंद्रशेखर जैसे क्रांतकारियों से भी जुड़ चुके थे.


इसी दौरान भगत सिंह की जेब में एक फोटो रहती थी, इस फोटो की भगत सिंह पूजा करते थे. इतना ही नहीं जब भी 'नौजवान भारत सभा' की बैठक होती थी तो उससे पहले इस तस्वीर पर पुष्प भी चढ़ाए जाते थे और उसके बाद ही बैठक शुरू होती थी. भगत सिंह जिस तस्वीर को अपनी जेब में रखते थे वह किसी बाबा की फोटो नहीं थी वो एक 19 साल के नौजवान करतार सिंह सराभा की फोटो थी जिसे भगत सिंह अपना आदर्श, अपना गुरु मानते थे.


कौन थे करतार सिंह सराभा


पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई, 1896 को जन्म करतार सिंह सराभा को अंग्रेजों ने महज 19 साल की उम्र में ही फांसी दे दी थी. लाहौर कॉन्सपिरेसी में करतार सिंह सराभा को जज ने सबसे खतरनाक बताया था और और फिर 16 नवंबर 1915 को इन्हें फांसी दी गई. जज ने भी अपना फैसला सुनाते हुए लिखा था कि- "इसे अपने द्वारा किए गए अपराधों पर बहुत गर्व है. वह दया का पात्र नहीं हैं और इसे मौत की सजा दी जानी चाहिए." ब्रिटिश साम्राज्य के लिए इतना खतरनाक थे करतार सिंह कि भगत सिंह ने भी उन्हें अपना गुरु मान लिया.


कोर्ट में पंजाबी में सुनाया था अपना मैसेज


इस फैसले के बाद जज जब निरुत्तर रह गए जब करतार सिंह ने अपना मैसेज पंजाबी में सुनाया था. इन्होंने कहा- "सेवा देश दी जिंदिये बड़ी आंखी, गल्ली करनियां ढेर सुखलियां ने, जिन्हें देश सेव च पैर पाया, ओन्ना ला मुसीबतां झेलियां ने."


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