Punjab News: सुप्रीम कोर्ट में इनदिनों समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है, जिस वजह से देश में समलैंगिक विवाह का मुद्दा इन दिनों चर्चाओं में है. देश का संत समाज लगातार इसका विरोध कर रहा है. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का भी समलैंगिक विवाह को लेकर बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि सनातन धर्म के अनुसार ये संभव नहीं है. ये दिशाहीनता है हम स्वतंत्रता के पक्षधर हैं, पर ये तो पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है स्वतंत्रता नहीं है.


‘विवाह का मामला धार्मिक’


स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि, 'विवाह का मामला धार्मिक है. हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को मानने वाले हैं. उन्होंने कहा कि अदालत में जहां से समलैंगिक विवाह का फैसला आने वाला है, वहां से पूछना चाहिए कि क्या आप नपुंसक होकर नपुंसक से शादी कर सकते है? क्या पुरुष हैं तो पुरुष से शादी कर सकते है? महिला है तो महिला से शादी कर सकते है? ये मानवता के लिए कलंक माना जाएगा. इससे व्याभिचार को भी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज की संस्कृति इस समलैंगिक विवाह को स्वीकार नहीं करती, क्योंकि ये अतार्किक और अप्राकृतिक है. शादी हमारे क्षेत्र का विषय है ना की कोर्ट का.'


'जजों को दंडित करेगी प्रकृति'


आपको बता दें कि स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कुछ दिन पहले राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी समलैंगिक विवाह को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि, 'समलैंगिक विवाह मानवता के लिए कलंक है. अगर सुप्रीम कोर्ट इसे कानूनी मान्यता देता भी है तो इस मानने की जरूरत नहीं है. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि अगर ऐसा फैसला आता है तो प्रकृति न्यायाधीशों को दंडित करेगी.'


34 देशों में मान्य है समलैंगिक विवाह


आपको बता दें कि दुनिया के 34 देशों में समलैंगिक विवाह मान्य है. वहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है. वही भारत में समलैंगिक शादी को लेकर विरोध हो रहा है. 


यह भी पढ़ें: Punjab Politics: क्या लोकसभा चुनाव से पहले अकाली और भाजपा में होगा गठबंधन? BJP ने दिया नरमी के संकेत