SGPC Elections: अभी नहीं होंगे शिरोमणि समिति के चुनाव! सामने आई ये बड़ी वजह
Punjab News: शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी चुनाव के जरिए सभी क्षेत्रों से करीब 170 सदस्य चुने जाते हैं. देशभर से 15 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है. इसके पिछले चुनाव 2011 में हुए थे.
Punjab News: शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी चुनाव को लेकर सरगर्मी शुरू हो गई है. गुरुद्वारा चुनाव आयोग ने शिरोमणि कमेटी चुनाव के लिए सिख वोटरों का रजिस्ट्रेशन शुरू कराने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही विभिन्न राजनीतिक और सांप्रदायिक दल भी सक्रिय हो गए हैं. ‘एबीपी सांझा’ की खबर के अनुसार, चर्चा है कि केंद्र सरकार इन चुनावों को लोकसभा चुनाव से पहले कराने के मूड में है, लेकिन अब ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.
मतदाताओं के पंजीकरण में लगेगा लंबा समय
दरअसल मतदाताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसे पूरा होने में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है. इसलिए अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले शिरोमणि समिति के चुनाव कराना संभव नहीं लगता. यह भी अहम है कि शिरोमणि कमेटी के आम चुनाव सिर्फ पंजाब तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल के सिख भी इन चुनावों में हिस्सा लेते हैं.
2011 में हुए थे पिछले चुनाव
आपको बता दें कि 1925 में सिख गुरुद्वारा अधिनियम के समय यह पूरा क्षेत्र पहले पंजाब का हिस्सा था. सिखों की मिनी संसद कही जाने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए इन सभी क्षेत्रों से करीब 170 सदस्य चुने जाते हैं. इसके अलावा देशभर से 15 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है. शिरोमणि समिति के सदन में कुल 190 सदस्य हैं. एसजीपीसी के पिछले आम चुनाव 2011 में हुए थे.
हरियाणा की भूमिका अभी स्पष्ट नहीं
जानकारों की माने तो एसजीपीसी चुनाव के लिए सिख वोटरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में काफी वक्त लगने वाला है और इसे पूरा होने में एक साल का समय लग सकता है. मतदाताओं के पंजीकरण के बाद अपात्र मतदाताओं के मामले भी सामने आएंगे. इसके अलावा शिरोमणि कमेटी के चुनाव में हरियाणा में सिखों की भूमिका अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है. फिलहाल यह मामला भी एक बड़ी बाधा के रूप में सामने है. हाल ही में हरियाणा पृथक गुरुद्वारा समिति अधिनियम 2014 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता दी गई है, जिसके साथ हरियाणा में पृथक गुरुद्वारा समिति की स्थापना की गई है, लेकिन अब तक इस मामले को लेकर सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में कोई संशोधन नहीं किया गया है. इस अधिनियम के अनुसार, हरियाणा के गुरुद्वारे अभी भी शिरोमणि समिति का हिस्सा हैं.