Mansa News: अंतिम अरदास' में भावुक हुए Sidhu Moose Wala के पिता, बचपन की ऐसी बातें बतायी जो...
Sidhu Moose Wala Antim Ardas: वह हमेशा मां के हाथ से टीका लगवाकर घर से निकलता था, लेकिन सिद्धू हत्या के दिन बिना टीका लगवाए निकला था. जब तक मां टीका नहीं लगाती, बुलाता रहता था मो.. मो.. मां.
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Sidhu Moose Wala Father: दिवंगत पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के अंतिम अरदास बुधवार को हुई. अंतिम अरदास में मूसेवाला को आखिरी बार याद करने के लिए भारी भीड़ जुटी. पंजाब के मानसा जिले के मूसा गांव में पंजाब के कोने-कोने से लोग पहुंचे थे, जिसमें तकरीबन एक लाख लोगों की भीड़ जुटी. अंतिम अरदास के दौरान सिद्धू मूसेवाला के पिता और मां भावुक हुए तो वहां मौजूद सभी की आंखे नम हो गईं. माता-पिता ने कहा कि उनका बेटा आसपास ही है, वह कहीं नहीं गया है. उन्होंने सिद्धू मूसेवाला के बारे में बताया कि वह बचपन से कितनी कठिनाइयों में पला-बढ़ा है.
बिना मां के हाथ से टीका लगवाकर घर से निकला
सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने यह भी बताया कि वह हमेशा मां के हाथ से टीका लगवाकर घर से निकलता था, लेकिन सिद्धू हत्या के दिन बिना टीका लगवाए निकला था. जब तक मां टीका नहीं लगाती, बुलाता रहता था मो.. मो.. मां.. 29 मई को पहली बार हुआ कि मां पास में कहीं गई थी. वह बिना टीका लगाकर घर से निकला और ऐसा हो गया. बचपन से लेकर आज तक कभी उसकी शिकायत नहीं आई. उसने कसम खाई थी कि मेरा कभी भी गलत काम में इन्वॉल्वमेंट नहीं था. मेरा बेटा बहुत अच्छा था.
बेटे या मुझसे गलती हुई हो तो हमें माफ कर देना
मूसेवाला के पिता ने इस दौरान कहा, मैं कहता हूं कि अपनी अंतिम सांस तक सिद्धू को आपसे जोड़कर रखूंगा. कभी मेरे बेटे या मुझसे गलती हुई हो तो हमें माफ कर देना. मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं. वहीं मूसेवाला की मां ने भावुक अपील करते हुए कहा, 'मेरा बेटा कहीं नहीं गया, मुझे लगता है कि वह मेरे आसपास ही है. आज प्रदूषण बहुत बढ़ चुका है. मैं बस बच्चों और बुजुर्गों से अनुरोध करना चाहती हूं कि मेरे बेटे के नाम पर पेड़ लगाएं और उसे पाले पोसे.
गुरु का फैसला सिर माथे पर
बलकौर सिंह ने कहा, '29 को ऐसा मनहूस दिन था कि वह चला गया लेकिन आप लोगों के प्यार ने मेरा दुख बहुत हद तक कम कर दिया. गुरु का फैसला सिर माथे पर है. सिद्धू एक बड़ा साधारण नौजवान था. आम पंजाबी लड़के की तरह ही था. जब नर्सरी में पढ़ता था तो कभी बस से तो कभी स्कूटर से मैं उसे स्कूल छोड़ने लेने जाता था. उसने क्लास 2 से साइकल से स्कूल जाना शुरू कर दिया था. 12वीं क्लास तक वह रोज 24 किलोमीटर स्कूल साइकल चलाकर जाता था और 24 किलोमीटर साइकल चलाकर आता था.
बच्चे को पॉकेट मनी तक नहीं दे पाया
सिद्धू के बारे में बताते हुए बलकौर सिंह ने कहा, 'कभी बच्चे को जेब खर्च तक नहीं दे पाया. उसने बहुत मेहनत की थी इस मुकाम तक पहुंचने के लिए. हम बहुत साधारण परिवार से थे. उसने अपने गाने लिखकर बेचा और कमाई करके आगे की पढ़ाई की. वह कभी जेब में पर्स तक नहीं रखता था.
मेरा बच्चा संत था
भावुक होते हुए सिद्धू के पिता ने कहा, मेरा बच्चा संत था, उसने कभी किसी का नुकसान नहीं किया. मेरे बच्चे के बारे में उल्टा-सीधा न लिखें. सोशल मीडिया पर गलत न लिखें. सिद्धू को राजनीति में कोई लेकर नहीं आया, वह अपनी मर्जी से आया. मैंने भी उसे मना किया था कि तुम्हारी अलग पहचान है क्यों राजनीति में आना लेकिन उसका मन था और वह मर्जी से राजनीति में आया.
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