Sidhu Moosewala News: पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose wala) की हत्या में शामिल छह शूटरों में से चार घटना वाले दिन मानसा जिले के जवाहरके गांव घटनास्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर ख्याला गांव के खेत में छिपे थे. पंजाब पुलिस के साथ-साथ हरियाणा और राजस्थान पुलिस की लापरवाही के चलते शूटर वहां से फरार हो गए. अगर चारों शूटर 29 मई की शाम को घटना के कुछ घंटों के अंदर पकड़े जाते तो मामला तभी सुलझाया जा सकता था.
पुलिस ठीक से खेतों की तलाशी नहीं ले पाई
'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस ने बाद में कुछ शूटरों की पहचान की और उनमें से तीन को अलग-अलग जगहों पर पकड़ा. पूछताछ से पता चला है कि पंजाब पुलिस हरियाणा और राजस्थान के साथ सीमाओं को प्रभावी ढंग से सील नहीं कर सकी थी. साथ ही शूटरों को पकड़ने के लिए अंतर-जिला और जिले के अंदर नाकाबंदी नहीं कर सकी थी. मिली जानकारी के अनुसार कुछ ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस टीम को ख्याला गांव भेजा भी गया था. हालांकि, अधिकांश बल को मानसा के सिविल अस्पताल में जाना पड़ा, जहां मूसेवाला के प्रशंसक काफी उग्र थे. ऐसे में पुलिस के पहुंचने तक शूटर या तो निकल चुके थे, या फिर पुलिस बल की कमी के कारण पुलिस ठीक से खेतों की तलाशी नहीं ले पाई थी.
पीसीआर वैन देख खेत में छिपे
जगरूप रूपा और मनप्रीत मन्नु उर्फ मन्नू कुसा मूसेवाला की हत्या करके एक छीनी हुई ऑल्टो कार में बरनाला की ओर भाग निकले थे. दोनों करीब 50 दिन बाद तरनतारन में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे. वहीं प्रियव्रत फौजी, अंकित सेरसा, कशिश और दीपक मुंडी हरियाणा की ओर भागे. वे रास्ता भटक गए और जब उन्होंने एक पीसीआर को अपने पीछे देखा तो वे ख्याला गांव की ओर मुड़े जहां उनकी बोलेरो कार फंस गई.
आरोपियों ने स्वीकारा
शूटर एक खेत में छिप गए लेकिन पीसीआर वाहन बिना रुके निकल गया. यह बात दिल्ली पुलिस द्वारा आरोपी शूटरों से पहली पूछताछ के दौरान सामने आयी थी और अब पंजाब पुलिस को उन्हीं शूटरों के बयान से इन बातों की पुष्टि हुई है. यह सब मानसा अदालत में दायर पुलिस चार्जशीट में सामने आया है. चार्जशीट के अलावा दिल्ली पुलिस की जांच में भी कहा गया है कि फौजी ने सिग्नल एप इंटरनेट फोन का इस्तेमाल कर गोल्डी बराड़ को फोन किया था. बराड़ ने फिर केशव से बात की जो मनसा शहर से तीन किलोमीटर दूर एक ढाबे पर इंतजार कर रहा था. दरअसल केशव जिसके पास पहले से एक ऑल्टो कार थी, वह एक घंटे में शूटरों तक पहुंच सकता था.