Hardeep Singh Dhillon: सुखबीर बादल के करीबी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने थामा AAP का हाथ, CM मान ने कही ये बात
Hardeep Singh Dhillon News: सुखबीर सिंह बादल के करीबी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों बुधवार को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. सीएम मान ने समर्थकों के साथ डिंपी ढिल्लों को पार्टी में शामिल किया.
Hardeep Singh Dimpy Dhillon News: शिरोमणि अकाली दल को अलविदा कहने वाले हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों अपने समर्थकों के साथ बुधवार को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. ढिल्लों को अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल का करीबी माना जाता था. गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिए जाने पर डिंपी ढिल्लों नाराज चल रहे थे, जिसकी वजह से उन्होंने रविवार को अकाली दल छोड़ दिया था.
गौरलतब है कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के लुधियाना से लोकसभा सांसद चुने जाने बाद गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट खाली हो गई थी, जिसकी वजह से इस सीट पर उपचुनाव होना है. इसी को देखते हुए हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने अकाली दल का साथ छोड़ आप में शामिल हो गए.
मुख्यमंत्री भगवंत मान बुधवार को गिद्दड़बाहा पहुंचे थे, जहां उन्होंने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों और उनके समर्थकों को आम आदमी पार्टी में शामिल किया. ढिल्लों ने 2017 और 2022 में अकाली दल की टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा से चुनाव लड़ा था. 2022 में वे कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से 1300 वोटों से हार गए थे.
‘पार्टी ने डिंपी ढिल्लों को छोड़ा है’
सीएम भगवंत मान ने डिंपी ढिल्लों को आम आदमी पार्टी ज्वॉइन करवाते हुए कहा कि उन्होंने अकाली दल को नहीं छोड़ा बल्कि पार्टी ने उनका साथ छोड़ा है. जब किसी पार्टी के अंदर अच्छे विचारों और मूल्यवान व्यक्तियों को महत्व नहीं दिया जाता तो लोग पार्टी छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं.
बता दें कि डिंपी ढिल्लों ऐसे समय में पार्टी से अलग हुए हैं, जब पार्टी का एक वर्ग अपने इतिहास के सबसे विद्रोह का सामना कर रहा है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ कई पार्टी नेताओं ने बगावत कर दी है और उनसे पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने की मांग की जा रही है.
सीएम मान ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कलाकार रहते हुए जब भी वे गिद्दड़बाहा आते रहे हैं. उन्हें भरपूर प्यार मिला है. अभी भी लोग उन्हें बेहद प्यार करते हैं. यहां लोगों की भीड़ को देखकर उन्हें नहीं लगता कि यहां पर वोट मांगने की जरुरत है. यहां अन्य दलों का काम वैसे ही निपट गया है. सुखबीर सिंह बादल खुद यहां से चुनाव लड़ नहीं सकते और डिंपी अब उनके पास है नहीं. पंथ के नाम पर भी अब उन्हें वोट नहीं मिलेंगे.
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