शिरोमणि अकाली दल की वर्किंग कमेटी ने सुखबीर सिंह बादल का पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया है. 16 नवंबर को सुखबीर बादल ने पद से इस्तीफा दिया था. लेकिन तब पार्टी ने इसे मंजूरी नहीं दी थी. अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने पहले ही जानकारी दे दी थी कि 10 जनवरी को चंडीगढ़ में पार्टी के वर्किंग कमेटी की बैठक होगी और उस बैठक में बादल के इस्तीफे पर फैसला लिया जाएगा.
सुखबीर सिंह बादल ने कहा, "पिछले पांच सालों में पार्टी की सेवा के लिए मुझसे जो भी संभव हो सका मैंने वो किया. वो कार्यकर्ता और नेता जिन्होंने मेरा समर्थन किया उन्हें मैं धन्यवाद देता हूं."
बादल को सुनाई गई थी धार्मिक सजा
अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिबान की ओर से सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेताओं को धार्मिक सजा सुनाई गई थी. इसका पालन भी उन्होंने किया. सुखबीर सिंह बादल को साल 2007 से 2017 तक सत्ता में रहने के दौरान धार्मिक गलतियों के आरोप में सजा सुनाई गई थी. उन पर आरोप है कि उन्होंने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को माफी दिलवाने में मदद की थी. उन्होंने राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस लेने में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था.
स्वर्ण मंदिर के गेट पर बादल पर हुई थी फायरिंग
इसके अलावा, उन पर पंथ के साथ गद्दारी करने का भी आरोप लगा. अकाल तख्त की तरफ से जब सिख समुदाय से जुड़े किसी शख्स को सजा सुनाई जाती है, तो उसे वह माननी पड़ती है. सजा के दौरान ही सुखबीर सिंह बादल पर पंजाब के अमृतसर में हमला किया गया था. उन पर गोली चलाई गई थी. लेकिन, वह बाल-बाल बच गए थे. सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के गेट पर फायरिंग की गई थी.
अगस्त में घोषित किया गया था तनखैया
नारायण सिंह चौरा नाम के शख्स ने बादल पर फायरिंग की थी. बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर 4 दिसंबर को सेवादार की ड्यूटी निभा रहे थे. वे व्हीलचेयर पर बैठे थे. गोली दीवार पर जाकर लगी थी. सुखबीर सिंह बादल को अगस्त में अकाल तख्त द्वारा तनखैया घोषित किया गया था.
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