शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा दायर नशा तस्करी में दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बिक्रम मजीठिया की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की गई थी. इस केस की सुनावई पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मजीठिया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि यहां अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका क्यों? आपके पास अन्य उपाय हैं, क्या आप हाई कोर्ट नहीं जा सकते.


कोर्ट ने कहा कि मजीठिया प्राथमिकी को लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं और इस पर एक खंडपीठ सुनवाई कर सकती है. शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का रुख कर पंजाब पुलिस द्वारा एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की थी. जमानत याचिका खारिज होने के बाद वह फिलहाल पटियाला जेल में बंद है, उन्होंने तर्क दिया है कि मामले राजनीति से प्रेरित थे और उनकी जांच पहले ही उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा चुकी थी.


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मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पदभार संभालने के बाद पंजाब पुलिस को दिए अपने पहले आदेश में 20 मार्च को मजीठिया के खिलाफ ड्रग मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का पुनर्गठन किया था. अपराध शाखा से जुड़े अधिकारी गुरशरण सिंह संधू को एक आईपीएस अधिकारी राहुल एस की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय टीम के कामकाज की देखरेख दी गई थी. अन्य सदस्य एआईजी रंजीत सिंह और डीएसपी रघबीर सिंह और अमनप्रीत सिंह हैं. पिछली एसआईटी एआईजी बलराज सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम थी, जिसका 20 दिसंबर, 2021 को एनडीपीएस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मजीठिया के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था.