Punjab News: सतलुज यमुना लिंक (SYL) चार दशक पुराना मुद्दा है. एसवाईएल हरियाणा (Haryana) और पंजाब के बीच एक बड़ा विवाद भी है. इस दशक बीत जाने के बाद भी इस एसवाईएल नहर में पानी तो नहीं बह पाया है लेकिन राजनीतिक खूब हुई है. हरियाणा और पंजाब में इस मुद्दे पर राजनीति कर सरकारें जरूर बनती रही हैं. अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद मामला फिर गरमा गया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पंजाब में केंद्र को एसवाईएल नहर की भूमि के लिए सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया है. जिसके बाद से विवाद खड़ा हो गया है.


आम आदमी पार्टी, बीजेपी, कांग्रेस या फिर शिरोमणि अकाली दल पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियां सर्वेक्षण का विरोध कर रही हैं. ये कहना भी गलत नहीं होगा कि सभी राजनीतिक दलों को लोकसभा चुनाव-2024 से पहले एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. कौन कितना विरोध कर सकता है इसके लिए सभी में होड़ मची हुई दिखाई दे रही है. 


विपक्षी दलों के निशाने पर आप


एसवाईएल मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियां आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार को घेरने में लगी हुई हैं. कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने एसवाईएल मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है. इसके अलावा विधानसभा सत्र बुलाने की भी मांग की जा रही है. कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल यह कहकर आप सरकार का विरोध कर रही है कि वह सुप्रीम कोर्ट में पंजाब का पक्ष अच्छे से नहीं रख पा रही है. साथ ही कहा जा रहा है कि राइपेरियन कानून के तहत हरियाणा को अधिकार ही नहीं है कि वो पंजाब के पानी पर अपना हक जता सके.


सीएम मान ने दी खुली बहस की चुनौती


पंजाब के सभी विपक्षी दलों की तरफ से आप सरकार को घेरे जाने के बाद रविवार को सीएम मान ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, "बीजेपी सुनील जाखड़, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल और कांग्रेस के राजा वडिंग-प्रताप बाजवा को मेरा खुला निमंत्रण है कि रोज-रोज की किच-किच के बजाय एक बार आएं, पंजाबियों और मीडिया के सामने बैठकर पंजाब को अब तक किसने कैसे लूटा, भाई-भतीजे, साले-जीजे, मित्र-मुलाहजे, टोल-प्लाजे, जवानी-किसानी, व्यापार-दुकानदार, गुरुओं की बाणी, नहरों का पानी.. सभी मुद्दों पर लाइव बहस करें."


सीएम मान ने आगे लिखा, "आप अपने साथ कागज भी ला सकते हो पर मैं मुंह जुबानी बोलूंगा. 1 नवंबर 'पंजाब दिवस' वाला दिन ठीक रहेगा, आपको तैयारी के लिए समय भी मिल जाएगा. मेरी तो पूरी तैयारी है क्योंकि सच बोलने के लिए रट्टे नहीं लगाने पड़ते." यानि कुल मिलाकर देखा जाए तो पंजाब के सभी राजनीतिक दलों में 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी एसवाईएल मुद्दे को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. पार्टियां ज्यादा से ज्यादा इस मुद्दे के जरिए पंजाब की जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं.


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