Punjab Tarn Taran Fake Encounter Case: 31 साल पुराने तरन-तारन फेक एनकाउंटर (Taran Taran Fake Encounter) केस में पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह और पूर्व डीएसपी गुरबचन को दोषी पाया गया है. उन्हें फल बेचने वाले की हत्या का दोषी पाया गया है. मोहाली में विशेष सीबीआई कोर्ट में यह मामला चल रहा था जिसमें तत्कालीन डीसीपी दिलबाग सिंह और तत्काली गुरबचन सिंह को गुरुवार को इस बात का दोषी पाया गया है कि उन्होंने 1993 में फल विक्रेता का उसके घर से अपहरण कर लिया था और फिर कस्टडी में हत्या कर दी गई थी. कोर्ट दोनों की सजा का एलान आज यानी 7 जून को करेगा. 


दिलबाग सिंह डीआईजी के रूप में रिटायर हुए थे जबकि गुरबचन सिंह डीएसपी के रूप में रिटायर हुए थे. फल विक्रेता को 22 जून 1993 को अवैध रूप से पकड़ा गया था और फिर एक महीने बाद उसकी फेक एनकाउंटर में हत्या कर दी थी. 


परिवार को बताए बिना किया था अंतिम संस्कार
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में बड़ी संख्या में अवैध शवों का अंतिम संस्कार करने के मामले की जांच दी थी. यह अंतिम संस्कार पंजाब पुलिस द्वारा किया जा रहा था. इसके बाद सीबीआई ने 1997 में केस दर्ज किया था. इसके बाद फल विक्रेता गुलशन कुमार के पिता चमन लाल ने शिकायत की थी कि उनके बेटे की हत्या करने से पहले उसका अपहरण किया गया था और फिर 22 जूलाई 1993 को बिना परिवार को बताए उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. 


21 साल बाद बनाया गया था आरोपी
सीबीआई ने 1999 में इस मामले में दिलबाग सिंह और गुरबचन सिंह के अलावा तत्कालीन एएसआई अर्जुन सिंह, एएसआई देवेंद्र सिंह और एसआई बलबीर सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 21 साल के बाद दिलबाग सिंह और गुरबचन सिंह के खिलाफ 7 फरवरी 2020 को आरोप दाखिल किए गए थे. 


सीबीआई की ओऱ से दिए गए बयान में कहा था कि सुनवाई क दौरान हमने 32 गवाहों को पेश किया था. इनमें से एक चश्मदीद गवाह था जिसने दिलबाग सिंह और गुरबचन सिंह को गुलशन कुमार को घर से अगवा करते हुए देखा था. इसके बाद उसे अवैध रूप से हिरासत में रखकर उसकी हत्या कर दी थी.


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