Punjab News: भारतीय किसान यूनियन उगराहां ने पंजाब में मेडकिल और सिंथेटिक ड्रग्स के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया. इसके तहत बुधवार को किसान संगठनों ने प्रदेशभर में डीसी दफ्तरों के सामने धरना दिया. सिंथेटिक नशे को बंद करने की मांग को लेकर हजारों किसानों और महिलाओं ने बरनाला डीसी कार्यालय के सामने धरना दिया, और इसके लिए सीधे तौर पर सरकार और अफसरशाही को जिम्मेदार ठहराया.


प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने नशे के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का एलान करते हुए कहा, 'सिंथेटिक ड्रग्स को लेकर पंजाब में 20 जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. सरकार इस सिंथेटिक नशे की आपूर्ति के लिए कह रही है कि यह नशा राज्य के बाहर से आ रहा है. जबकि सरकार की यह अवधारणा गलत है. सरकार और पुलिस की सहमति के बिना नशीले पदार्थ नहीं बेचे जा सकते. कोई भी आम आदमी ड्रग्स नहीं बेचता.  लेकिन ये नशे अमीर लोगों या उनके अनुयायियों द्वारा बेची जाती हैं. इस सिंथेटिक ड्रग ने पंजाब के युवाओं को बुरी तरह जकड़ लिया है. संगठन ने नशे के खात्मे के लिए संघर्ष का क्षेत्र चुना है और भविष्य में इसके लिए और भी संघर्ष किये जायेंगे. अगला नशा मुक्ति अभियान अक्टूबर के पहले सप्ताह में फिर शुरू होगा.'


इस मौके पर संगठन के प्रदेश नेता रूप सिंह छन्ना और महिला किसान नेता कमलजीत कौर ने कहा, 'सिंथेटिक नशे ने हमारे युवाओं को बहुत नुकसान पहुंचाया है. संगठन आज डीसी कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर इस नशे पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है. इसको लेकर पूरे पंजाब में एक अभियान शुरू किया गया है. पिछले 20 दिनों से गांव-गांव जाकर लोगों को नशा मुक्ति के प्रति जागरूक किया जा रहा है. इस लत का सबसे बड़ा दर्द मां व महिलायों को झेलना पड़ता है. इसी वजह से आज के विरोध प्रदर्शन में माताएं-बहनें बहुमत में हैं. डीसी बरनाला को मांग पत्र देकर सिंथेटिक नशे पर रोक लगाने की मांग की गई है. वहीं बड़े ड्रग तस्करों को तुरंत जेल में डालने की मांग की जा रही है. जबकि सरकार को नशे की लत में फंसे युवाओं के इलाज के लिए कदम उठाने की जरूरत है. छोटे पैमाने पर नशा बेचने वाले लोग अपना घर चलाने के लिए यह काम करने को मजबूर हैं, जबकि सरकार को इन लोगों को रोजगार मुहैया कराना चाहिए ताकि वे इस नशा सप्लाई के कारोबार से हट सकें और बड़े तस्करों को तुरंत हिरासत में लिया जाए. नियंत्रण चाहिए. नशे के खिलाफ ये लड़ाई बहुत बड़ी और लंबी है. जिसके चलते अगर सरकार ने हमारी मांगों पर विचार कर कार्रवाई नहीं की तो आने वाले दिनों में वे संघर्ष तेज करने को मजबूर होंगे.'