Unified Pension Scheme News: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है और इस चुनाव में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) भी एक मुद्दा बनकर उभरा है, क्योंकि राज्य के कई सरकारी कर्मचारी इस स्कीम का विरोध कर रहे हैं. हरियाणा में पेंशन बहाली संघर्ष समिति के सदस्य राज्यभर में घूमकर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने यूपीएस को नकार दिया है. बीते दिनों अंबाला में ओपीएस को बहाल करने की मांग को लेकर मार्च भी निकाला गया था. लोगों के विरोध को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी की मुश्किल बढ़ती दिख रही है.


उधर, पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 2022 में ओपीएस को बहाल करने का वादा किया था, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में ओपीएस के नोटिफिकेशन के एसओपी में देरी के कारण कर्मचारी और पेंशनर्स विरोध दर्जा करा रहे हैं. वहीं यूपीएस की घोषणा से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है. जो कर्मचारी फिलहाल एनपीएस के अंतर्गत है वे यूपीएस को ना लागू करने की मांग कर रहे हैं. 


हरियाणा में 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस की बहाली एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरी है. पेंशन बहाली संघर्ष समिति (हरियाणा) के सदस्य ओपीएस को लागू करने की मांग के साथ राज्य भर में यात्रा कर रहे हैं. उन्होंने भी केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम को खारिज कर दिया है. 


राजनीतिक दलों से मांगा जा रहा है समर्थन
संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने कहा, ''हम यूपीएस के खिलाफ हैं और हम चाहते हैं कि ओपीएस को बहाल किया जाए. हम अपने ओपीएस तिरंगा मार्च के साथ चरणबद्ध तरीके से राज्य भर में जा रहे हैं. आम जनता और राजनीतिक दलों से आग्रह कर रहे हैं कि वे ओपीएस को बहाल करने की हमारी मांग को समर्थन दें.'' 


21 साल पहले समाप्त हुआ था OPS
दिसंबर 2003 में केंद्र में एनडीए सरकार ने ओपीएस को समाप्त कर दिया गया था और 1 अप्रैल 2004 को एनपीएस लागू हुआ था. बता दें कि ओपीएस के तहत पूरी पेंशन राशि सरकार द्वारा दी जाती है जबकि एनपीएस एक ऐसी योजना जहां कर्मचारी अपने वेतन से अपने पेंशन में योगदान देते हैं. वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह यूपीएस को मंजूरी दी है जिसके प्रावधानों का विरोध किया जा रहा है.


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