Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम नहीं ले रही. राज्यपाल पुरोहित ने अब 19-20 जून को विधानसभा सत्र के दौरान पारित सभी चारों बिलों को अवैध करार दिया. है. सीएम मान को चिट्ठी लिखकर राज्यपाल की तरफ से कहा गया है कि कानूनी सलाह के बाद उन्हें विश्वास हो गया है कि विधानसभा विशेष सत्र गैरकानूनी था और उस दौरान पारित हुए बिल चारों बिल कानून का उल्लंघन है.
राज्यपाल पुरोहित ने की तरफ से कहा गया है कि कानूनी सलाह के आधार पर मैं विचार कर रहा हूं कि क्या भारत के अटॉर्नी जनरल से सलाह ली जाए या विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार और सहमति के लिए रिजर्व रखा जाए.
‘आप सियासी परिवार के विशेष कार्यों से चिंतित है’
आपको बता दें कि इससे पहले सीएम भगवंत मान की तरफ से सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक 2023 को मंजूरी देने के लिए कहा गया था. लेकिन राज्यपाल की तरफ से जब इसका कोई जवाब दिया गया तो सीएम मान ने ट्वीट कर राज्यपाल की आलोचना करते हुए उन पर राज्य के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का गला घोंटने का आरोप लगाया था. इसको लेकर अब राज्यपाल की तरफ से लिखी गई चिट्टी पर कहा गया है कि लगता है आप एक विशेष सियासी परिवार के कुछ कार्यों से चिंतित है. आपने मेरी तरफ से लिए गए समय को लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का गला घोंटने जैसा बताया है, ये मामला आपकी निजी धारणा का प्रतीत होता है.
विशेष सत्र को रद्द नहीं कर सकते राज्यपाल
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा विधानसभा विशेष सत्र के चारों बिलों को कानून का उल्लंघन बताया गया है लेकिन वो खुद सेशन रद्द नहीं कर सकते. मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के आग्रह पर स्पीकर सेंशन बुला सकते है. लेकिन राज्यपाल को सूचित करना जरूरी है साथ ही राज्यपाल को प्रस्तावों और कार्यवाही की जानकारी देनी होती है. स्पीकर किसी भी मंत्री के आग्रह पर सेशन बुलाने के लिए खुद फैसला लेने में सक्षम है. इसका संविधान में स्पष्ट प्रावधान भी है. वहीं राज्यपाल की तरफ से सरकार से प्रशासनिक कार्यों के लिए जानकारी मांगी जा सकती है जिसको देने के लिए सरकार बाध्य है.
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