Chandigarh News: वारिस पंजाब दे (Waris Punjab De) प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) सिख युवाओं को बरगलाकर बड़ी फौज तैयार कर रहा है, जिससे पुलिस और सुरक्षाबलों को चुनौती दी जा सके. इस जानकारी के सामने आते ही केंद्रीय खुफिया एजेंसिया अलर्ट हो गई हैं. रिसर्च एंड एनलेसिस विंग (RAW) ने 130 लोगों की एक लिस्ट भी तैयार की है जिसमें खालिस्तान की मुहिम के पीछे लोगों के नाम शामिल हैं जिनका अमृतपाल सिंह से भी सीधा कनेक्शन है.


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमृतपाल सिंह भिंडरावाला की राह पर चल रहा है. दुबई के अलावा उसका ब्रिटेन और कनाडा में मजबूत नेटवर्क है. केंद्रीय एजेंसियों को जो इनपुट मिले हैं उससे अमृतपाल सिंह के खतरनाक इरादों के संकेत हैं. अन्य देशों के खालिस्तानी समर्थक भी उसके सपोर्ट में हैं. इन फॉलोवर्स की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर मान रहे हैं कि अमृतपाल सिंह के साथ हथियारबंद लोगों की संख्या बढ़ी है और इस वक्त उसके पास लेटेस्ट हथियारों का बड़ा जखिरा है.


'खालिस्तान इज अल्टीमेट सोल्युशन टू एवरी प्रॉब्लम'


आपको बताते चलें कि हाल ही में अमृतपाल सिंह के एक इशारे पर हजारों लोगों की भीड़ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की फोटो हाथों में लेकर अजनाला थाने में घुस गई थी और पंजाब पुलिस कुछ नहीं कर पाई थी. उस घटना पर गृह मंत्रालय ने भी संज्ञान लिया था हालांकि मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई. पंजाब पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई न होने पर कई सवाल उठे लेकिन कुछ नहीं हुआ. अमृतपाल सिंह खालिस्तानी समर्थक है और वो खुद इसे कबूलने में गर्व महसूस करता है. ABP को दिए एक इंटरव्यू में जब अमृतपाल सिंह से पूछा गया कि आपका मकसद खालिस्तान है या कोई और है? तो उसने कहा, 'हमारा मकसद सब कुछ करना है और उसका अल्टीमेट गोल खालिस्तान है. खालिस्तान हमारी मंजिल है और रास्ते में हमारा संघर्ष है. खालिस्तान बनाना है हम ये नहीं कहते. खालिस्तान इज अल्टीमेट सोल्युशन टू एवरी प्रॉब्लम.'


तलवार-बंदूक लेकर सुरक्षा में तैनात रहते हैं कई लोग


खालिस्तान की विचारधारा में अमृतपाल सिंह इस कदर डूबा हुआ है कि उसके घर पर भी सिख धर्म के झंडे लहराते रहते हैं. ज्यादातर वो नीले रंग की पग पहनकर रखता है. हाथों में कटार, तलवार और बंदूक लिए कई सेवादार हर पल साढ़े 6 फीट लंबे अमृतपाल की सुरक्षा करते रहते हैं. सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसिया इस संबंध में भी जानकारी जुटा रही हैं कि अमृतपाल सिंह के पास कितने लाइसेंसी और गैर लाइसेंसी हथियार हैं. एजेसियों को AK सीरिज से भी जुड़ हथियारों की भी जानकारी मिली है. इसीलिए ये मामला गंभीर है क्योंकि इन हथियारों का लाइसेंस नहीं दिया जाता है.


कैसे और कब हुई थी खालिस्तान की शुरुआत?


खालिस्तान आंदोलन की शुरुआत 1929 में हुई थी लेकिन 1973 में ये चर्चाओं का विषय बन गई. 1973 में ही अकाली दल ने आनंद साहिब रिजोल्यूशन के जरिए अपने राज्य के लिए स्वायत्ता की मांग की थी. जरनैल सिंह भिंडरांवाले इसी का कट्टर समर्थक था जो बाद में बागी बन गया. कुछ समय बितने के बाद  1982 में भिंडरांवाले ने शिरोमणि अकाली दल से हाथ मिला लिया और फिर असहयोग आंदोलन शुरू किया जिसने बाद में सशस्त्र विद्रोह आंदोलन का रूप ले लिया.


अमृतपाल सिंह कैसे बना वारिस पंजाब दे प्रमुख?


अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने रोड एक्सीडेंट में मौत से करीब 6 महीने पहले सितंबर 2021 में 'वारिस पंजाब दे'की नींव रखी थी. उस वक्त अमृतपाल सिंह 27 साल का था और दुबई में रहकर ट्रांसपोर्ट का बिजनेस कर रहा था. लेकिन दीप सिद्धू के निधन के बाद वो दुबई से बिजनेस समेट कर वापस भारत लौट आया और वारिस पंजाब दे की जिम्मेदारी संभाल ली. इस वक्त उसकी उम्र 29 साल है.


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