Amritpal Singh Arrest Operation: भगोड़ा अमृतपाल सिंह अभी भी पंजाब पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. लगभग 15 दिनों से पंजाब पुलिस उनकी तलाश में लगातार सर्च अभियान चला रही है, इस दौरान अमृतपाल की तरफ से दो वीडियो जारी कर सिखो को उकसाने की कोशिश की गई है. अमृतपाल की तरफ से अकाल तख्त के जत्थेदारों को बैसाखी पर ‘सरबत खालसा’ का आयोजन करने की बात कही है. वहीं खुद पर पंजाब पुलिस के एक्शन की तुलना उसने अहमद शाह अब्दाली से की है. तो आखिर क्या है ‘सरबत खालसा’ 


क्या है ‘सरबत खालसा’?
सरबत शब्द का अर्थ है ‘सभी’. खालासा का अर्थ है सिखों’ से है. यानि सभी सिखों की गुटों की एक सभा. ‘सरबत खालसा’ की शुरुआत गुरु गोविंद सिंह द्वारा की गई थी. 1699 में खालसा पंथ की शुरूआत की गई थी. मुगलों के खिलाफ सिखों के संघर्ष के बीच सरबत खालसा की शुरुआत की गई थी. गुरु गोविंद सिंह द्वारा स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त में खालसा पंथ से जुड़े लोगों की एक बैठक की शुरुआत की थी. फिर बैसाखी और दिवाली के मौके पर इस बैठक का आयोजन किया जाने लगा. बैठक में खालसा पंथ के सभी लोग आते थे. इसमें राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा करती की जाती है. सरबत खालसा के दौरान सिखों के लिए निर्देश जारी किए जा सकते है जो सभी के लिए मान्य भी होते थे. सरबत खालसा में पारित प्रस्तावों को गुरमाता कहा जाता था. सरबत खालसा’ की शुरुआत गुरु गोविंद सिंह ने की थी इसलिए इसे पवित्र माना जाने लगा. 


कैसे होता है ‘सरबत खालसा’ का आयोजन? 
‘सरबत खालसा’ के समय खालसा पंथ से जुड़े सभी लोग शामिल होते है, इस दौरान खास प्रस्तावों को पारित किया जाता है और उसपर अमल के लिए एक कमेटी का गठन भी किया जाता है. 2019 में भी सरबत खालसा’ का आयोजन कर जेलों में बंद सिख कैदियों की रिहाई की मांग की गई थी. 


यह भी पढ़ें: Punjab School Timings: आज से सुबह 8 बजे खुलेंगे पंजाब के स्कूल, 2 बजे छुट्टी, शिक्षा मंत्री बोले- 'उल्लंघन पर करेंगे सख्त कार्रवाई'