एक्सप्लोरर

माघी मेला और पंजाब की राजनीति में क्या है कनेक्शन?

जब इस मेले की शुरुआत हुई थी तब यहां पंजाब के अलग-अलग इलाके से लाखों की तादाद में लोग पहुंचते थे. जहां राजनेता मौका पाकर अपनी बात जनता तक पहुंचा दिया करते थे.

हर साल माघ के महीने में मकर संक्रांति पर पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में माघी मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार भी शनिवार को रवायती तौर पर इस मेले की शुरुआत हो गई है. 1705 में खिदराना की लड़ाई में मुगलों से लड़ते हुए मारे गए 40 सिख योद्धाओं की याद में सदियों से पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब शहर में माघी मेला मनाया जाता रहा है. इस लड़ाई के बाद ही खिदराना का नाम मुक्तसर रखा गया था. 

यह स्थान पहले खिदराने की ढाब के नाम से जाना जाता था. सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगलों से लड़ते हुए मारे गए 40 सिखों के नाम पर इस स्थान को 'मुक्ति का सर' नाम दिया था जिसे बाद में मुक्तसर कहा गया. 

यह मेला पंजाब की जनता के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतना ही अहमियत पंजाब की राजनीति के लिए भी रखता है. पिछले कुछ सालों में राजनीतिक सम्मेलन इस मेले का मुख्य आकर्षण रहा है और अक्सर इसी मेले में होने वाला सम्मेलन राज्य के लिए राजनीतिक सुर भी तय करता रहा है.  

हालांकि साल 2018 के बाद से इस मेले में सम्मेलनों को कम कर दिया गया ताकि त्योहार को राजनीति से दूर रखा जा सके. 

क्या है माघी मेला का इतिहास 

यह त्योहार मुगलों के खिलाफ लड़ाई में 40 सिख सैनिकों की शहादत का प्रतीक है. 1700 के दशक में, मुगल और सिख एक दूसरे के साथ लगातार युद्ध कर रहे थे. सिख इतिहास की माने तो 1700 के दशक में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी किला आनंदपुर साहिब में मुगल की सेनाओं से जंग लड़ रहे थे. 

युद्ध के दौरान किले में राशन-पानी खत्म होने के कगार पर था, तब गुरु गोविंद सिंह के साथ लड़ रहे 40 सिख योद्धाओं ने उनसे निवेदन किया कि वह बिना खाए पीए इस युद्ध को नहीं लड़ सकते. उनकी बात सुन गुरु जी ने कहा कि अगर आप इस युद्ध को बीच में छोड़कर जाना चाहते हैं तो मुझे लिख कर दें कि अब से गुरु गोबिंद सिंह हमारे गुरु नहीं हैं. हालांकि उस वक्त व्याकुल सिंह योद्धाओं ने गुरु जी के कहने पर ये लिख कर दे दिया और अपने अपने घर लौट आएं.  

इन सिखों के वापस लौट जाने के कुछ दिनों बाद गुरु जी ने किला आनंदपुर साहिब छोड़ दिया और चमकौर साहिब पहुंच गए. यहां के बाद गुरु गोविंद सिंह ने खिदराना के पास अपना डेरा डाला. 

दूसरी ओर अपने-अपने घर लौटे 40 सिंहों ने जब घरवालों को श्री आनंदपुर साहिब में गुरु जी को छोड़ कर लौटने का कारण बताया तो घरवालों ने कहा कि ऐसे समय में उन्हें गुरु जी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए था. परिवार और गांव वालों के ताने सुनकर 40 सिंह 'माई भागो' के नेतृत्व में वापस गुरु जी की खोज में निकल पड़े.

कौन थीं माई भागो

लाइव हिस्ट्री इंडिया के मुताबिक सिखों को एकजुट करने में एक महिला का बड़ा योगदान रहा, जिनका नाम था 'माई भागो'. जब 40 सिख गुरु गोविंद सिंह को छोड़कर वापस आ गए थे तब माई भागो ही थीं जिन्होंने उन सिखों में फिर से वीरता और गुरु के प्रति समर्पण जगाया था.  

इस बार गुरु गोविंद सिंह की खोज में निकले इन सिखों के साथ माई भागो भी थीं. उनके साथ खोजते-खोजते यह सिंह खिदराना पहुंचे वहां उन्होंने मुगल सेना से युद्ध किया. इस युद्ध में सिर्फ माई भागो ही जीवित बचीं बाकि सभी सिख शहीद हो गए. इन्हीं शहीद सिखों के बलिदान को समर्पित करते हुए गुरु गोबिंद सिंह ने खिदराना को ढाब मुक्तसर का नाम दिया. 

हालांकि दिलचस्प बात यह है कि मुक्तसर से शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के पूर्व विधायक रोज़ी बरकंडी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, '40 सिख सैनिकों  का वास्तविक शहादत दिवस वैशाख के महीने में आता है. लेकिन उस क्षेत्र में पानी की कमी के कारण, माघ महीने के संक्रांत पर माघी मेले का शुरुआत किया गया और तब से अब तक इसी समय इस मेले के आयोजन की परंपरा को जारी है.'

माघी मेले के दौरान कौन-कौन से राजनीतिक सम्मेलन होते हैं?

माघी मेला पंजाब की राजनीति के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. हर साल मेले के प्रमुख दिन पंजाब के मुख्यमंत्री और सभी बड़े राजनीतिक लीडर भी मेला घूमने पहुंचते हैं. यहां शुरू हुए राजनीतिक सम्मेलनों का भी अपना इतिहास है. 

काफी सालों पहले जब इस मेले की शुरुआत हुई थी तब यहां पंजाब के अलग-अलग इलाके से लाखों की तादाद में लोग पहुंचते थे. मेले के दिन शाम को कवि दरबार का आयोजन किया जाता था. जहां राजनेता मौका पाकर अपनी बात जनता तक पहुंचा देते थे. इस राजनीतिक सम्मेलनों की शुरुआत संभवत इसी तरह से हुई, जिन्हें 1950 के दशक के मध्य तक ऐसे ही देखा गया. 

बीतते समय के साथ इस इन राजनीतिक सम्मेलनों को दिन के समय आयोजित किया जाने लगा. मुक्तसर के एक कांग्रेस नेता ने बीते वर्षों को याद करते हुए इंडियन एक्प्रेस को कहा, “पहले इस मेले में लोग अपने कृषि उपकरणों को लगभग 10 दिनों के लिए प्रदर्शित करते थे, और सड़क के किनारे फेरी लगभग एक महीने तक चलती थी. उन दिनों रिश्तेदार एक-दूसरे के घर में एक महीने तक रहा करते थे. ”

2018 के बाद राजनीतिक आयोजन कम होने लगे

बढ़ते राजनीतिक सम्मेलनों को देखते हुए साल 2017 में, अकाल तख्त जत्थेदार ने राजनीतिक दलों से आवेदन किया कि मेले को राजनीति से दूर रखा जाए. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से सम्मेलनों का आयोजन नहीं करने की अपील की. जिसके बाद साल 2018 में कांग्रेस और आप ने भी माघी मेले में सम्मेलन आयोजित करना बंद कर दिया था. 

हालांकि, अकाली दल ने अपने राजनीतिक सम्मेलनों का आयोजन बंद नहीं किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अकाल तख्त जत्थेदार की अपील माघी मेले के लिए मान्य नहीं है क्योंकि बलिदान का वास्तविक दिन मई में पड़ता है. अकाली दल (बादल) के अनुसार, माघी मेले में हमेशा राजनीतिक गतिविधियां होती रही हैं, यहां तक कि 1920 से पहले भी यहां राजनीतिक सम्मेलन होते आए हैं. उस वक्त तक अकाली दल अस्तित्व में आया ही नहीं था.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

मंकीपॉक्स की भारत में एंट्री के बाद एक्शन में स्वास्थ्य मंत्रालय, सभी राज्यों को जारी की एडवाइजरी, पढ़ें निर्देश
मंकीपॉक्स की भारत में एंट्री के बाद एक्शन में स्वास्थ्य मंत्रालय, सभी राज्यों को जारी की एडवाइजरी, पढ़ें निर्देश
Jammu Kashmir Election 2024: 2 चरण में 145 निर्दलीय उम्मीदवार, मैदान में यूपी की रजिस्टर्ड पार्टी भी
जम्मू-कश्मीर चुनाव: 2 चरण में 145 निर्दलीय उम्मीदवार, मैदान में यूपी की रजिस्टर्ड पार्टी भी
Bhooth Bangla First Look Out: बर्थडे पर अक्षय कुमार ने ‘भूत बंगला' की दिखाई पहली झलक, काली बिल्ली के साथ नजर आए 'खिलाड़ी कुमार'
बर्थडे पर अक्षय कुमार ने ‘भूत बंगला' की दिखाई पहली झलक, जानें- कब होगी सिनेमाघरों में रिलीज
Watch: दोनों पैर नहीं, फिर भी दौड़कर जीत लिया गोल्ड; इन पति-पत्नी की कहानी कर देगी इमोशनल
दोनों पैर नहीं, फिर भी दौड़कर जीत लिया गोल्ड; इन पति-पत्नी की कहानी कर देगी इमोशनल
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Ganesh Chaturthi 2024: मुंबई में लालबाग के राजा के दर पर गृह मंत्री अमित शाह ने टेका माथा | ABP NewsKanpur में ट्रेन पलटने की साजिश पर गिरीराज सिंह का बड़ा बयान, कांग्रेस पर लगाया ये आरोप | BreakingKolkata Doctor Case: कोलकाता कांड पर CBI ने SC में पेश की स्टेटस रिपोर्ट | Top News | ABP NewsUP के कानपुर में फिर ट्रेन पलटाने की साजिश! ट्रैक पर LGP गैस सिलेंडर से टकराई कालिंदी एक्सप्रेस

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
मंकीपॉक्स की भारत में एंट्री के बाद एक्शन में स्वास्थ्य मंत्रालय, सभी राज्यों को जारी की एडवाइजरी, पढ़ें निर्देश
मंकीपॉक्स की भारत में एंट्री के बाद एक्शन में स्वास्थ्य मंत्रालय, सभी राज्यों को जारी की एडवाइजरी, पढ़ें निर्देश
Jammu Kashmir Election 2024: 2 चरण में 145 निर्दलीय उम्मीदवार, मैदान में यूपी की रजिस्टर्ड पार्टी भी
जम्मू-कश्मीर चुनाव: 2 चरण में 145 निर्दलीय उम्मीदवार, मैदान में यूपी की रजिस्टर्ड पार्टी भी
Bhooth Bangla First Look Out: बर्थडे पर अक्षय कुमार ने ‘भूत बंगला' की दिखाई पहली झलक, काली बिल्ली के साथ नजर आए 'खिलाड़ी कुमार'
बर्थडे पर अक्षय कुमार ने ‘भूत बंगला' की दिखाई पहली झलक, जानें- कब होगी सिनेमाघरों में रिलीज
Watch: दोनों पैर नहीं, फिर भी दौड़कर जीत लिया गोल्ड; इन पति-पत्नी की कहानी कर देगी इमोशनल
दोनों पैर नहीं, फिर भी दौड़कर जीत लिया गोल्ड; इन पति-पत्नी की कहानी कर देगी इमोशनल
Godfrey Phillips: बीना मोदी बनीं एमडी, बाहर हुए ललित मोदी के भाई, गोडफ्रे फिलिप्स का शेयर हुआ धड़ाम
बीना मोदी बनीं एमडी, बाहर हुए ललित मोदी के भाई, गोडफ्रे फिलिप्स का शेयर हुआ धड़ाम
Rahul Gandhi America Visit: सामने बैठे थे राहुल गांधी तभी अचानक मंच पर बैठे कांग्रेस नेता बोले- पप्पू...'
सामने बैठे थे राहुल गांधी तभी अचानक मंच पर बैठे कांग्रेस नेता बोले- पप्पू नहीं वो
Mercedes से लेकर Range Rover तक, इन कारों में सैर करेगी रणवीर-दीपिका की नन्ही परी
Mercedes से लेकर Range Rover तक, इन कारों में सैर करेगी रणवीर-दीपिका की नन्ही परी
Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता कांड पर RSS चीफ मोहन भागवत को आया गुस्सा, ममता बनर्जी बोले- 'दोषियों को खोजकर...'
कोलकाता कांड पर RSS चीफ मोहन भागवत को आया गुस्सा, ममता बनर्जी बोले- 'दोषियों को खोजकर...'
Embed widget